क्या आप सोच सकते हैं कि आपके अपने सगे रिश्तेदार आपको देशभक्ति के नाम पर इतनी बड़ी ठगी का शिकार बना दें? महाराष्ट्र के पुणे में एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी को खुफिया एजेंसी की नौकरी, गुप्त मिशन और करोड़ों के इनाम का लालच देकर लाखों-करोड़ों की ठगी की गई। इस कहानी में ट्विस्ट ये है कि ठग कोई बाहर वाले नहीं, बल्कि पीड़ित के करीबी रिश्तेदार ही निकले! आइए, इस पूरे मामले की गहराई में उतरते हैं और समझते हैं कि कैसे विश्वास की आड़ में इतना बड़ा फ्रॉड हो सकता है।
कैसे शुरू हुई ये धोखाधड़ी की साजिश?
साल 2019 की बात है। पुणे की दत्तवाड़ी इलाके में विजयी चैतन्य सोसायटी में रहने वाले 53 वर्षीय सूर्यकांत दत्तात्रय थोरात अपनी पत्नी अर्चना के साथ शांतिपूर्ण जीवन बिता रहे थे। सूर्यकांत सारस्वत बैंक की सोमवार पेठ शाखा से रिटायर हो चुके थे और अब घर पर ही समय काट रहे थे। तभी उनकी पत्नी के भाई सुनील बबनराव प्रभाले ने उनसे संपर्क किया। सुनील ने बताया कि उसका बेटा शुभम प्रभाले केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी में काम करता है। शुभम ने देश की सुरक्षा से जुड़े एक बेहद गोपनीय मिशन में अहम भूमिका निभाई है, जिसके बदले सरकार उसे 38 करोड़ रुपये का भारी-भरकम इनाम देने वाली है।
लेकिन ये इनाम हासिल करने के लिए कुछ ‘प्रक्रिया शुल्क’, कानूनी फीस और वरिष्ठ अधिकारियों को ‘उपहार’ देने पड़ेंगे। सूर्यकांत को ये बात इतनी आकर्षक लगी कि वे धीरे-धीरे इस जाल में फंसते चले गए। सुनील और शुभम ने उन्हें विश्वास दिलाया कि ये पैसे बस अस्थायी हैं और जल्द ही वापस मिल जाएंगे, वो भी ब्याज समेत!
विश्वास जीतने के लिए अपनाए गए हाई-टेक ट्रिक्स
ठगों ने सूर्यकांत का भरोसा हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने दावा किया कि शुभम का मिशन सीधे देश के शीर्ष नेताओं से जुड़ा है। विश्वास बढ़ाने के लिए, उन्होंने फोन पर कॉन्फ्रेंस कॉल का नाटक रचा। सूर्यकांत को लगा कि वे गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अन्य बड़े अधिकारियों से सीधे बात कर रहे हैं! कॉल करने वालों की आवाजें इतनी मिलती-जुलती थीं कि सूर्यकांत को शक की गुंजाइश ही नहीं बची।
इसके अलावा, उन्होंने शुभम का फर्जी आईडी कार्ड, रिवॉल्वर और बैंक से आए मैसेज भी दिखाए। सूर्यकांत ने पुलिस को बताया, “वे कहते थे कि शुभम ट्रेनिंग पर है, इसलिए घर नहीं आता। हमें कभी शक नहीं हुआ।” ये छोटी-छोटी डिटेल्स ने पूरे फ्रॉड को इतना विश्वसनीय बना दिया कि एक अनुभवी बैंक अधिकारी भी धोखा खा गया।
सब कुछ बेचकर भी नहीं रुकी ठगी की भूख
जनवरी 2020 से सितंबर 2024 तक चली इस ठगी में सूर्यकांत ने अपनी सारी जमा-पूंजी झोंक दी। उन्होंने अपना फ्लैट, खेत, दुकान, कार और पत्नी के गहने तक बेच डाले। जब ये सब कम पड़े, तो उन्होंने अपने प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) से भी पैसे निकाले। इतना ही नहीं, दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेकर भी ठगों को चुकाया। कुल मिलाकर, 4 करोड़ 6 लाख 7 हजार 355 रुपये की ठगी हुई!
पैसे ट्रांसफर करने का तरीका भी बेहद चालाक था। कुछ नकद में दिए गए, तो कुछ बैंक ट्रांसफर से। ठगों ने सारस्वत बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडसइंड बैंक जैसे कई बैंकों के अकाउंट्स का इस्तेमाल किया। उदाहरण के लिए शुभम प्रभाले के अकाउंट में 1.82 करोड़ रुपये। ओंकार प्रभाले के अकाउंट में 10.93 लाख। प्रशांत प्रभाले के अकाउंट में 40.67 लाख। सुनील प्रभाले को 7 लाख नकद, और भाग्यश्री प्रभाले के अकाउंट में 1.05 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए।
इसके अलावा, उधार ली गई रकम जैसे 17 लाख, 25 लाख, 10 लाख आदि भी ठगों के पास पहुंची। ये सारी डिटेल्स बताती हैं कि फ्रॉड कितना संगठित था।
आखिरकार सच्चाई का सामना और पुलिस एक्शन
चार साल तक उम्मीद की डोर थामे रहने के बाद, जब कोई इनाम नहीं मिला और पैसे वापस आने की कोई सूरत नजर नहीं आई, तो सूर्यकांत ने हिम्मत जुटाई। 15 सितंबर 2025 को उन्होंने पुणे के पर्वती पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पांच आरोपियों – शुभम सुनील प्रभाले, सुनील बबनराव प्रभाले, ओंकार सुनील प्रभाले, प्रशांत राजेंद्र प्रभाले और भाग्यश्री सुनील प्रभाले के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 318(4), 204 और 3(5) के तहत धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का केस दर्ज किया।
ये मामला हमें सिखाता है कि ठगी के जाल में फंसने से बचने के लिए कितना सतर्क रहना जरूरी है, खासकर जब बात रिश्तेदारों की हो। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हो रहा है, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें। क्या आपने कभी ऐसी ठगी की कहानी सुनी है? कमेंट्स में शेयर करें!































