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महाराष्ट्र में भारी बारिश और बाढ़ का कहर: जनजीवन अस्त-व्यस्त, 21 की मौत

महाराष्ट्र
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महाराष्ट्र में इस बार मानसून ने भारी तबाही मचाई है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने पूरे राज्य में जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। बीते कुछ दिनों से हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 15 अगस्त से अब तक बारिश और बाढ़ के कारण 21 लोगों की जान जा चुकी है। कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं, जिससे फसलों, घरों और आजीविका को भारी नुकसान पहुंचा है। आइए, इस आपदा के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से नजर डालते हैं।

लोनावला में रिकॉर्ड तोड़ बारिश
लोनावला में इस बार मानसून ने नया रिकॉर्ड कायम किया है। पिछले 24 घंटों में यहां 432 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो अब तक की सबसे अधिक वर्षा मानी जा रही है। मंगलवार को केवल 10 घंटों में 150 मिलीमीटर बारिश हुई थी, लेकिन अगले 14 घंटों में बारिश की रफ्तार और तेज हो गई, जिसके परिणामस्वरूप 282 मिलीमीटर अतिरिक्त वर्षा दर्ज की गई। इस अभूतपूर्व बारिश ने स्थानीय प्रशासन को हाई अलर्ट पर ला दिया है। सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं और कई इलाकों में यातायात पूरी तरह ठप है।

मुंबई में रेड अलर्ट, हवाई यातायात प्रभावित
मुंबई, जो देश की आर्थिक राजधानी है, वहां भी भारी बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने शहर के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। लगातार बारिश के कारण सड़कों पर जलजमाव और भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है। हवाई यातायात पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है। इंडिगो एयरलाइंस ने यात्रियों के लिए विशेष ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि यात्री अपनी यात्रा की पहले से योजना बनाएं, एयरपोर्ट पहुंचने से पहले फ्लाइट स्टेटस ऑनलाइन जांच लें और अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर व ईमेल को अपडेट रखें ताकि किसी भी बदलाव की जानकारी समय पर प्राप्त हो सके।

विदर्भ में बाढ़ ने मचाई तबाही
पश्चिम विदर्भ के कई जिले इस बार के मानसून की सबसे भयावह मार झेल रहे हैं। अमरावती संभाग के अंतर्गत आने वाले अमरावती, यवतमाल, वाशिम, बुलढाणा और अकोला जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इन जिलों के 26 तालुकों में फैले 760 गांवों में बाढ़ और भारी बारिश ने भयंकर तबाही मचाई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1 जून से 18 अगस्त तक 8,000 से अधिक घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। इसके अलावा, लगभग 2.29 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिनमें तूर, कपास, सोयाबीन, फल और सब्जियां शामिल हैं।

किसानों को इस आपदा ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। उनकी आजीविका पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। इसके अलावा, इस प्राकृतिक आपदा में 21 लोगों की जान चली गई है और करीब 250 मवेशी भी मारे गए हैं। प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य जोरों पर हैं, लेकिन बारिश की तीव्रता के कारण यह कार्य चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।

प्रशासन और राहत कार्य
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें प्रभावित इलाकों में तैनात की गई हैं। कई गांवों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। सरकार ने किसानों और प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि राहत राशि अपर्याप्त है और नुकसान की भरपाई के लिए और ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।

मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की संभावना जताई है। खासकर मुंबई, पुणे, कोल्हापुर और विदर्भ के कुछ हिस्सों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। लोगों से अपील की गई है कि वे घरों से बाहर न निकलें और जलजमाव वाले क्षेत्रों से बचें। नदियों और नालों के किनारे रहने वाले लोगों को विशेष रूप से सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

महाराष्ट्र में इस बार का मानसून अभूतपूर्व चुनौतियां लेकर आया है। भारी बारिश और बाढ़ ने न केवल जनजीवन को प्रभावित किया है, बल्कि किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गहरी चोट पहुंचाई है। सरकार और प्रशासन को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि प्रभावित लोगों को राहत मिल सके और भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तैयारियां की जा सकें।

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