महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहर को और भी जीवंत कर दिया है। पुणे जिले का वेल्हे तालुका अब आधिकारिक तौर पर ‘राजगढ़’ के नाम से जाना जाएगा। ये वही इलाका है जहां छत्रपति शिवाजी महाराज की पहली राजधानी रही थी और जहां से उनके गौरवशाली साम्राज्य की नींव पड़ी थी।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इस ऐतिहासिक घोषणा के दौरान कहा कि ये फैसला न केवल स्थानीय लोगों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करता है, बल्कि महाराष्ट्र के हर नागरिक के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने इस कदम को छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को सम्मान देने वाला बताया और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का विशेष धन्यवाद भी व्यक्त किया।
लंबे इंतजार के बाद मिली मंजूरी
वेल्हे तालुका का नाम बदलने की प्रक्रिया कोई रातोंरात नहीं हुई। इस प्रस्ताव को 22 नवंबर 2021 को 70 में से 58 ग्राम पंचायतों और पुणे जिला परिषद ने हरी झंडी दी थी। इसके बाद मामला केंद्र तक पहुंचा और 6 मई 2025 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति दे दी। वहीं, 16 मार्च 2024 को जारी अधिसूचना पर किसी भी प्रकार की आपत्ति दर्ज न होने के बाद ये निर्णय अंतिम रूप से लागू कर दिया गया।
बावनकुले ने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पुणे जिला संरक्षक मंत्री अजित पवार का आभार जताया।
क्यों खास है ‘राजगढ़’ का नाम?
राजगढ़ किला सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि मराठा साम्राज्य की शान है। यहीं से छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी सत्ता की नींव रखी थी। स्थानीय लोग लंबे समय से चाहते थे कि उनके तालुके की पहचान इस गौरवशाली इतिहास से जुड़ सके।
नाम बदलने के बाद अब न केवल ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक पहचान को मजबूती मिलेगी, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। ये कदम महाराष्ट्र की समृद्ध धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक संजोकर रखने का प्रतीक माना जा रहा है।
राजगढ़ का ये नया अध्याय सिर्फ एक नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की अस्मिता और गौरव को पुनः स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।
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