भारत की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया (BeerBiceps) और स्टैंडअप कॉमेडियन समय रैना को दिव्यांगों पर असंवेदनशील टिप्पणी करने के मामले में फटकार लगाई है। अदालत ने रणवीर को वीडियो बनाकर और समय रैना को अपने मंचों पर जाकर सार्वजनिक माफ़ी मांगने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
ये विवाद SMA Cure Foundation द्वारा दाखिल की गई याचिका से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि समय रैना, विपुन गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर और निशांत जगदीश तंवर ने अपने शो और चुटकुलों के जरिए दिव्यांगों का मज़ाक उड़ाया। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने साफ कहा कि इस तरह की कॉमेडी दिव्यांगों के अधिकारों का हनन है और समाज में गलत धारणाएँ फैलाती है।
कोर्ट का आदेश
रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना को अपने YouTube चैनल और सोशल मीडिया अकाउंट पर माफी मांगनी होगी।
केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया है कि सोशल मीडिया पर महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के अपमानजनक कंटेंट को रोकने के लिए सख्त गाइडलाइन्स तैयार करे।
अदालत ने चेतावनी दी कि अगली सुनवाई में जुर्माना लगाया जाएगा, जो दिव्यांग समूहों के कल्याण पर खर्च होगा।
समय रैना और वकील का बयान
सुनवाई के बाद बाहर निकलते हुए समय रैना के वकील ने कहा कि उन्होंने बिना शर्त माफ़ी मांगी है। हालांकि, अदालत ने ये भी स्पष्ट किया कि सिर्फ कोर्ट में नहीं बल्कि सार्वजनिक मंचों पर भी माफ़ी मांगनी होगी।
रणवीर अल्लाहबादिया कौन हैं?
रणवीर अल्लाहबादिया, जिन्हें BeerBiceps नाम से जाना जाता है, भारत के मशहूर यूट्यूबर और पॉडकास्टर हैं।
उनके 7 यूट्यूब चैनल्स पर कुल 12 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर हैं।
वह Monk Entertainment के सह-संस्थापक भी हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी मासिक कमाई लगभग 35 लाख रुपये है, जो यूट्यूब ऐड्स, ब्रांड प्रमोशन और पॉडकास्ट से आती है।
2024 तक उनकी कुल नेटवर्थ लगभग 60 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
उनके पास Skoda Kodiaq कार है, जिसकी कीमत करीब 34 लाख रुपये है।
क्यों अहम है ये केस?
ये मामला केवल दिव्यांगों पर की गई टिप्पणी तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में कॉमेडी और फ्री स्पीच की सीमाओं को लेकर एक मिसाल बन सकता है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि समय रैना और रणवीर अल्लाहबादिया किस तरह माफ़ी मांगते हैं और केंद्र सरकार सोशल मीडिया के लिए कौन-सी नई गाइडलाइन्स लागू करती है।
ये केस भारत में कंटेंट क्रिएटर्स और कॉमेडियंस के लिए एक बड़ा सबक है कि मज़ाक और व्यंग्य की सीमा वहीं तक है जहां किसी की गरिमा और अधिकार प्रभावित न हों।
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