Mumbai Blast Case: मुंबई के 7/11 ट्रेन धमाकों में नौ साल जेल में बिताने के बाद बरी हुए डॉ. वाहिद दीन मोहम्मद शेख ने अब 9 करोड़ रुपये की मुआवजा मांग (Compensation Demand) की है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से इसकी गुहार लगाई है। शेख का कहना है कि मुंबई ब्लास्ट केस (Mumbai Blast Case) में उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया, जिसने उनकी जिंदगी और परिवार को तबाह कर दिया।
11 जुलाई 2006 को मुंबई की सात लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों में 187 लोग मारे गए थे और 800 से ज्यादा घायल हुए थे। इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें शेख भी शामिल थे। उन पर मकोका जैसे सख्त कानून लगाए गए। साल 2015 में विशेष अदालत ने शेख को बरी कर दिया, लेकिन बाकी 12 आरोपियों को सजा सुनाई गई। जुलाई 2025 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन सभी 12 आरोपियों को भी बरी कर दिया, जिससे यह साफ हो गया कि पूरा मामला गलत था।
46 साल के शेख ने बताया कि जेल में बिताए नौ साल उनके लिए बेहद मुश्किल थे। उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनाएं झेलनी पड़ीं। जेल की यातनाओं की वजह से उनकी आंखों को ग्लूकोमा हो गया और कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो गईं। इस दौरान उनके पिता का निधन हो गया, उनकी मां मानसिक तनाव में चली गईं और परिवार आर्थिक तंगी में डूब गया। शेख ने कहा कि उनके बच्चों को ‘आतंकवादी के बच्चे’ कहकर सामाजिक तिरस्कार सहना पड़ा।
शेख का करियर और शिक्षा भी पूरी तरह प्रभावित हुई। आज वह एक स्कूल में शिक्षक हैं, लेकिन 30 लाख रुपये के कर्ज में डूबे हैं। उन्होंने कहा कि जेल ने उनके जीवन के सबसे कीमती नौ साल छीन लिए और उनका सम्मान बर्बाद कर दिया। शेख ने पहले मुआवजा मांग (Compensation Demand) नहीं की, क्योंकि उनके सह-अभियुक्त जेल में थे। लेकिन अब जब सभी बरी हो चुके हैं, वह अपनी मांग को पूरी तरह जायज मानते हैं।
यह मामला एक बार फिर गलत तरीके से फंसाए गए लोगों को न्याय और मुआवजे की जरूरत पर सवाल उठा रहा है। शेख की इस मुआवजा मांग (Compensation Demand) पर अब आयोग और सरकार का क्या जवाब होगा, यह देखना बाकी है।
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