एशिया कप 2025 का भारत-पाकिस्तान मैच अब सिर्फ़ खेल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ये सीधे राजनीति और राष्ट्रीय भावनाओं से जुड़ गया है। दुबई में 14 सितंबर को होने वाले इस हाईवोल्टेज मुकाबले पर शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। संपादकीय में साफ़ कहा गया है कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना, पहलगाम हमले के ताज़ा जख्मों को देखते हुए, “राष्ट्रद्रोह” से कम नहीं है।
पहलगाम हमला और संवेदनशील माहौल
संपादकीय में तर्क दिया गया कि हाल ही में हुए पहलगाम हमले में 26 नागरिकों की जान गई थी और उस दर्द को अभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे समय में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना सिर्फ़ खेल का आयोजन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता और भावनाओं पर चोट जैसा है।
“सुविधाजनक हिंदुत्व और राष्ट्रवाद” पर तंज
सामना ने अपने लेख में पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “सुविधाजनक हिंदुत्व” और “सुविधाजनक राष्ट्रवाद” की वजह से ही ऐसी नीतियां बन रही हैं, जहां जनता की भावनाओं को दरकिनार कर चुनावी और आर्थिक फायदे को प्राथमिकता दी जाती है। सवाल उठाया गया कि क्या करोड़ों के आर्थिक सौदों और कूटनीतिक दबाव के सामने देशवासियों की भावनाएं गौण हो सकती हैं?
अंतरराष्ट्रीय दबाव और बदलता रुख
लेख में अमेरिका और चीन की भूमिका का भी जिक्र है। दावा किया गया कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते ही सरकार का पहले का आक्रामक रुख बदलकर ‘क्रिकेट डिप्लोमेसी’ में तब्दील हो गया। संपादकीय ने बालासाहेब ठाकरे के पुराने सख्त रुख की याद दिलाते हुए पूछा कि आज के ‘नकली हिंदुत्ववादी’ आखिर कहां हैं?
जनता की भावनाओं का सम्मान जरूरी
संपादकीय ने अंत में सवाल उठाया कि क्या खेल की आड़ में उन परिवारों का दर्द भुला देना ठीक है जिनके अपनों की जान गई है? क्या क्रिकेट के जरिए शांति और सौहार्द का दिखावा करना असल में hollow (खोखला) नहीं है?
लेख का निष्कर्ष साफ है कि क्रिकेट सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता और जनता की भावनाओं से जुड़ा विषय है। यदि सरकार और संस्थाएं इसे अनदेखा करती हैं तो खेलों के जरिए बनने वाली शांति की अवधारणा टिकाऊ नहीं रह पाएगी।
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