Devabhau Ads Tension: महाराष्ट्र की सियासत में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मुंबई में शनिवार को अखबारों और होर्डिंग्स पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ‘देवभाऊ’ के नाम से दिखाने वाले विज्ञापनों ने हंगामा मचा दिया। इन विज्ञापनों में फडणवीस को छत्रपति शिवाजी महाराज को फूल चढ़ाते और गणेश पूजा करते दिखाया गया, लेकिन महायुति गठबंधन के अन्य नेता, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार का जिक्र तक नहीं था। इससे गठबंधन में तनाव की खबरें सामने आ रही हैं।
यह विवाद तब और गहरा गया, जब शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने इन विज्ञापनों पर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि एक दिन में 40-50 करोड़ रुपये खर्च किए गए। राउत ने बीजेपी पर शिवाजी महाराज की छवि का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और पैसे के स्रोत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब राज्य में किसान आत्महत्याएं और भारी बारिश की समस्याएं हैं, तब इतना खर्चा शर्मनाक है। राउत ने आरएसएस को भी चुनौती दी कि अगर वे शिवाजी महाराज का सम्मान करते हैं, तो अपने नागपुर मुख्यालय में उनकी तस्वीर या मूर्ति लगाएं।
एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने भी इस मामले में टिप्पणी की। उन्होंने दावा किया कि ये विज्ञापन बीजेपी ने नहीं, बल्कि गठबंधन की किसी सहयोगी पार्टी के मंत्री ने दिए। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने करोड़ रुपये कहां से आए और इस मंत्री का नाम क्या है।
वहीं, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस विवाद को शांत करने की कोशिश की। ठाणे में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि महायुति में कोई टकराव नहीं है। उन्होंने बताया कि चाहे मराठा आरक्षण हो या ओबीसी अधिकार, महायुति सरकार एक टीम की तरह काम कर रही है। शिंदे ने कहा कि वे और फडणवीस मिलकर विकास और गरीबों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।
यह विवाद मराठा आरक्षण आंदोलन के बाद आया है, जब फडणवीस को सियासी तौर पर अलग-थलग देखा गया था। अब ‘देवभाऊ’ विज्ञापनों ने महायुति गठबंधन में सियासी खींचतान की अटकलों को और हवा दे दी है।
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