मुंबई में मराठा आरक्षण आंदोलन दिनों-दिन तेज होता जा रहा है। 29 अगस्त से शुरू हुआ ये प्रदर्शन अब पूरे शहर को प्रभावित कर रहा है। हालात ऐसे बन गए कि सड़कों पर जगह-जगह जाम लग गया और शहर की जीवनरेखा मानी जाने वाली मुंबई मानो थम सी गई।
हाई कोर्ट तक पहुंचा आंदोलन का असर
इस आंदोलन का सबसे बड़ा असर बॉम्बे हाई कोर्ट तक दिखाई दिया। भारी भीड़ और ट्रैफिक जाम के कारण जस्टिस रविंद्र घुगे को अपनी कार छोड़कर पैदल ही कोर्ट भवन तक जाना पड़ा। उनके साथ सरकारी वकील पूनम कांठारिया भी भीड़ में फंस गईं और उन्हें भी पैदल ही कोर्ट तक पहुंचना पड़ा। अदालत ने टिप्पणी की कि पूरा मुंबई शहर मानो “ठप” हो गया और हाई कोर्ट “घेराबंदी” जैसी स्थिति में रहा।
प्रदर्शन बना जश्न जैसा माहौल
हाई कोर्ट की खंडपीठ जस्टिस रविंद्र घुगे और जस्टिस गौतम अंखाड ने कहा कि आंदोलनकारियों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन की शर्तों का पालन नहीं किया। अदालत के अनुसार, 31 अगस्त को आज़ाद मैदान से लेकर मंत्रालय, सीएसटी, फ्लोरा फाउंटेन, मरीन ड्राइव और पी’डेमेलो रोड तक हर गली प्रदर्शनकारियों से भरी पड़ी थी। कई प्रदर्शनकारी सड़कों पर नाच-गाना कर रहे थे। कुछ लोग कबड्डी खेलते दिखे, तो वहीं कुछ लोग सड़क पर खाना बनाते और नहाते भी नजर आए।
कोर्ट ने साफ कहा कि आंदोलन ने अब जश्न का रूप ले लिया है, जिससे आम जनता और न्यायिक प्रक्रिया दोनों प्रभावित हो रही हैं।
अदालत के भीतर भी तनाव
सुनवाई के दौरान अदालत ने ये भी दर्ज किया कि हाई कोर्ट भवन पूरी तरह प्रदर्शनकारियों से घिरा हुआ था। जजों और वकीलों के लिए बने प्रवेश द्वार तक अवरुद्ध कर दिए गए थे। अदालत को सुरक्षा कारणों से दरवाजे बंद करके सुनवाई करनी पड़ी, जबकि बाहर से नारेबाजी की आवाजें लगातार सुनाई देती रहीं।
आंदोलन क्यों?
ये आंदोलन मराठा समाज को आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटील ने 29 अगस्त से आज़ाद मैदान में आमरण अनशन शुरू किया है। आंदोलनकारियों की मांग है कि मराठा समाज को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए और उन्हें शिक्षा व सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग के तहत शामिल किया जाए।
अदालत का मानना है कि आंदोलन फिलहाल शांतिपूर्ण है, लेकिन इसके कारण पूरे शहर की व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।
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