मुंबई

17 साल बाद जेल से बाहर आया गैंगस्टर अरुण गवली, सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

अरुण गवली
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मुंबई का कुख्यात नाम और कभी राजनीति की दुनिया में सक्रिय चेहरा रहा अरुण गवली आखिरकार 17 साल बाद जेल से बाहर आ गया है। बुधवार को नागपुर की सेंट्रल जेल से उनकी रिहाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हत्या के एक पुराने मामले में जमानत दी है।

सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
76 वर्षीय गवली साल 2007 में शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांदेकर की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। बुधवार को जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने उनकी जमानत याचिका मंज़ूर की। हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि गवली को निचली अदालत द्वारा तय की गई शर्तों का पालन करना होगा।

जेल से बाहर आते ही हुआ स्वागत
जेल की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद गवली दोपहर करीब 12:30 बजे बाहर आए। इस दौरान परिवार के सदस्यों और समर्थकों ने उनका स्वागत किया। गवली पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत मामला दर्ज था।

दगड़ी चॉल से लेकर राजनीति तक का सफर
अरुण गवली का नाम मुंबई के भायखला स्थित दगड़ी चॉल से सुर्खियों में आया था। धीरे-धीरे उसने अपराध की दुनिया से निकलकर राजनीति में कदम रखा और अखिल भारतीय सेना नाम की पार्टी की स्थापना की। वो 2004 से 2009 तक मुंबई के चिंचपोकली विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रहे।

सजा और जुर्माना
अगस्त 2012 में, मुंबई की एक सत्र अदालत ने गवली को पार्षद जामसांदेकर की हत्या का दोषी ठहराया था। अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 17 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 9 दिसंबर 2019 को इस फैसले को बरकरार रखा था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने गवली को जमानत देकर राहत दी है।

अरुण गवली की रिहाई ने एक बार फिर मुंबई की अपराध और राजनीति की दुनिया को चर्चा में ला दिया है। दगड़ी चॉल से लेकर विधानसभा तक का सफर तय करने वाले गवली की कहानी आज भी लोगों के बीच उतनी ही चर्चित है जितनी 90 के दशक में थी।

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