Kids Eyesight Weakens: दिल्ली के एम्स के आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ. राधिका टंडन और पूर्व चीफ डॉ. जीवन सिंह तितयाल ने एक ऐसी बात कही है, जिसने सबको चौंका दिया है। उन्होंने कहा कि बच्चों की आंखें तेजी से कमजोर हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, अगर यही स्थिति रही तो 2050 तक दुनिया की आधी आबादी कमजोर दृष्टि की शिकार हो सकती है। इसका सबसे बड़ा असर भारत जैसे देशों में दिखेगा, जहां आर्मी, एयरफोर्स और बुलेट ट्रेन ड्राइवर जैसे जिम्मेदार पदों के लिए योग्य लोग मिलना मुश्किल हो सकता है।
डॉ. जीवन सिंह तितयाल ने बताया कि 2010 तक ग्रामीण इलाकों में बच्चों की आंखों की सेहत काफी अच्छी थी। लेकिन 2017 के बाद से स्थिति तेजी से बिगड़ी है। अब शहरी और ग्रामीण बच्चों की आंखों की सेहत में ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। इसका मतलब है कि मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष की समस्या अब हर जगह फैल रही है। दिल्ली और आसपास के शहरी इलाकों में करीब 20 प्रतिशत बच्चे पहले से ही चश्मा पहन रहे हैं या उन्हें इसकी जरूरत है।
इसके पीछे कई कारण हैं। आजकल बच्चे मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप पर ज्यादा समय बिता रहे हैं। ज्यादा स्क्रीन टाइम आंखों पर बुरा असर डाल रहा है। इसके अलावा गलत खानपान भी एक बड़ी वजह है। कुछ बच्चों में पोषण की कमी के कारण आंखों को जरूरी विटामिन और मिनरल्स नहीं मिल पा रहे। आनुवंशिक बीमारियां जैसे रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा भी बच्चों की दृष्टि को प्रभावित कर रही हैं। यह बीमारी रेटिना को नुकसान पहुंचाती है, जिससे देखने की क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा सेरेब्रल विज़ुअल इम्पेयरमेंट (सीवीआई) भी एक गंभीर समस्या है। इसमें मस्तिष्क को देखने की जानकारी समझने में दिक्कत होती है, भले ही आंखें ठीक हों।
भारतीय सेना में भर्ती के लिए आंखों की सेहत बहुत जरूरी है। सेना में शामिल होने के लिए उम्मीदवार की दृष्टि बिना चश्मे के 6/6 यानी 20/20 होनी चाहिए। मायोपिया, हाइपरोपिया और एस्टिग्मैटिज्म की सीमा 3.5 डायोप्टर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर चश्मे की शक्ति इससे ज्यादा है, तो भर्ती में दिक्कत हो सकती है। इसका मतलब है कि अगर बच्चों की आंखें कमजोर होती रहीं, तो भविष्य में सेना के लिए योग्य उम्मीदवार मिलना मुश्किल हो सकता है।
इसी तरह, बुलेट ट्रेन ड्राइवरों के लिए भी तेज दृष्टि जरूरी है। भारत में मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर पर काम तेजी से चल रहा है। जापान से दो शिंकानसेन ट्रेनें 2026 में भारत आएंगी। लेकिन अगर युवाओं की दृष्टि कमजोर रही, तो इन ट्रेनों को चलाने के लिए योग्य ड्राइवर मिलना चुनौती बन सकता है। डॉ. तितयाल ने कहा कि बच्चों में स्क्रीन टाइम को कम करने और सही खानपान पर ध्यान देने की जरूरत है।
यह समस्या सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। डब्लूएचओ के अनुसार, 2050 तक दुनिया भर में करीब 5 अरब लोग मायोपिया से पीड़ित हो सकते हैं। खासकर पूर्वी एशियाई देशों जैसे चीन और जापान में यह समस्या पहले से ही गंभीर है। भारत में भी शहरी इलाकों में बच्चे छोटी उम्र से ही मोबाइल और टैबलेट का इस्तेमाल शुरू कर दे रहे हैं, जिससे उनकी आंखें तेजी से खराब हो रही हैं।