परिवर्तिनी एकादशी 2025: 3 सितंबर 2025 को परिवर्तिनी एकादशी का पवित्र पर्व मनाया जाएगा। ये दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए विशेष महत्व रखता है। इस अवसर पर भक्तजन केसर का उपयोग विभिन्न रूपों में करते हैं, जैसे अभिषेक, भोग, स्नान और तिलक। आइए जानते हैं कि परिवर्तिनी एकादशी पर केसर का उपयोग क्यों महत्वपूर्ण है और इसके क्या लाभ हैं।
केसर का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व
केसर को हिंदू धर्म में पवित्रता, सत्य, आंतरिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ये गुरु ग्रह (बृहस्पति) से संबंधित है, जो धन, समृद्धि, वैवाहिक सुख, संतान और वैभव का कारक है। शास्त्रों में कहा गया है कि बृहस्पति भगवान विष्णु का अंशावतार हैं। इसलिए, भगवान विष्णु की पूजा में केसर का उपयोग करने से गुरु ग्रह की शुभता बढ़ती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
केसर का उपयोग न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ये ज्योतिषीय रूप से भी कुंडली में गुरु ग्रह को मजबूत करता है। ये परिवार में सौहार्द, धन-वैभव और सुख-शांति लाने में सहायक माना जाता है।
परिवर्तिनी एकादशी पर केसर के उपयोग के तरीके और लाभ
1. केसर से अभिषेक
परिवर्तिनी एकादशी या किसी भी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की मूर्ति या शालिग्राम का केसर मिश्रित जल से अभिषेक करने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्त की कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। ये उपाय जीवन में सकारात्मकता, धन-समृद्धि और पारिवारिक सुख को बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही, ये पारिवारिक कलह को समाप्त करने में भी सहायक होता है।
2. केसर मिश्रित जल से स्नान
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के पानी में चुटकीभर केसर मिलाकर नहाने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। चूंकि केसर बृहस्पति ग्रह से जुड़ा है और बृहस्पति का संबंध भगवान विष्णु से है, ये उपाय धन, संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि करता है। ये मन को शांत करने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी मदद करता है।
3. केसर का भोग
परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को केसर युक्त खीर या हलवे का भोग लगाने की परंपरा है। ये भोग भगवान को अति प्रिय है। ऐसा करने से परिवार में सौभाग्य और समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही, ये पारिवारिक क्लेश को दूर करने और घर में सुख-शांति बनाए रखने में सहायक होता है।
4. केसर का तिलक
एकादशी के दिन माथे पर केसर का तिलक लगाकर घर से निकलने की प्रथा है। ये उपाय सफलता और धन प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केसर का तिलक लगाने से कार्यों में बाधाएं दूर होती हैं और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। ये पर्व न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि ये जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और गुरु ग्रह के दोषों को दूर करने में भी सहायक है। केसर का उपयोग इस दिन की पूजा को और अधिक प्रभावशाली बनाता है।
परिवर्तिनी एकादशी 2025 का ये पवित्र दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। केसर का उपयोग इस दिन की पूजा को और अधिक शुभ और प्रभावी बनाता है। चाहे वो अभिषेक हो, स्नान हो, भोग हो या तिलक, केसर के ये उपाय न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता लाने में भी मदद करते हैं। इस एकादशी पर इन उपायों को अपनाकर आप भगवान विष्णु की कृपा और गुरु ग्रह की शुभता प्राप्त कर सकते हैं।
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