PM Modi Gifted Daruma Doll in Japan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 अगस्त 2025 को जापान के दो दिवसीय दौरे पर टोक्यो पहुंचे। इस दौरान शोरिन्जान दारुमा-जी मंदिर के मुख्य पुजारी रेव सेइशी हीरोसे ने उन्हें एक खास तोहफा दिया, जिसे दारुम डॉल कहते हैं। यह जापान की पारंपरिक गुड़िया है, जो सौभाग्य, सफलता और दृढ़ता का प्रतीक मानी जाती है। इस गुड़िया की सबसे खास बात यह है कि इसका सीधा रिश्ता भारत के बौद्ध धर्म से है।
दारुम डॉल एक गोल, खोखली और बिना हाथ-पैर वाली गुड़िया होती है, जिसे भारत के बौद्ध भिक्षु बोधिधर्म के आधार पर बनाया गया है। यह आमतौर पर लाल रंग की होती है, क्योंकि लाल रंग जापान में सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है। बोधिधर्म, जिन्हें जापान में दारुमा दाइशी कहते हैं, दक्षिण भारत के कांचीपुरम से 5वीं या 6वीं सदी में चीन और फिर जापान गए थे। उन्होंने वहां जेन बौद्ध धर्म की नींव रखी, जिसका असर आज भी जापानी संस्कृति में दिखता है। इसीलिए दारुम डॉल भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रिश्तों का प्रतीक है।
जापान में दारुम डॉल को बहुत खास माना जाता है। लोग इसे खरीदते समय एक खास परंपरा निभाते हैं। जब कोई लक्ष्य तय करते हैं, तो इस गुड़िया की एक आंख को रंग देते हैं। जब वह लक्ष्य पूरा हो जाता है, तब दूसरी आंख रंगी जाती है। यह परंपरा मेहनत, धैर्य और लगन की सीख देती है। गुड़िया का नीचे से गोल और वजनदार डिज़ाइन इसे गिरने के बाद भी फिर से खड़ा होने में मदद करता है। यह जापानी कहावत “सात बार गिरो, आठवीं बार उठो” को दर्शाता है, जो जीवन में हार न मानने की प्रेरणा देता है।
दारुम डॉल का सबसे बड़ा केंद्र जापान का ताकासाकी शहर है, जहां शोरिन्जान दारुमा-जी मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना 1697 में हुई थी और यहीं से दारुम डॉल बनाने की परंपरा शुरू हुई। हर साल यहां दारुमा उत्सव होता है, जहां लोग नई गुड़िया खरीदते हैं और पुरानी गुड़िया को मंदिर में लौटाकर आभार जताते हैं। इस उत्सव में हजारों लोग शामिल होते हैं।
पीएम मोदी को यह दारुम डॉल भेंट करना भारत और जापान के बीच गहरे सांस्कृतिक रिश्तों का प्रतीक है। यह तोहफा न सिर्फ सौभाग्य की कामना करता है, बल्कि दोनों देशों की साझा विरासत को भी दर्शाता है।