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महाराष्ट्र में जिला परिषद अध्यक्ष पदों पर आरक्षण घोषित, चुनावी समीकरण होंगे नए

महाराष्ट्र
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महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव आने वाला है। राज्य सरकार ने शुक्रवार को 34 जिला परिषदों के अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण सूची जारी कर दी है। इस फैसले के बाद आने वाले स्थानीय स्वराज्य चुनावों का पूरा गणित बदलना तय माना जा रहा है।

पार्टियों के लिए अब उम्मीदवार चयन की चुनौती और भी कठिन हो जाएगी, क्योंकि उन्हें नए आरक्षण मानकों के आधार पर टिकट बांटना होगा। खासकर महिला आरक्षण के चलते कई जिलों में पहली बार नए चेहरे राजनीतिक पटल पर नजर आएंगे।

सामान्य प्रवर्ग
ठाणे, पुणे, रायगढ़, सिंधुदुर्ग, नासिक, जलगांव, छत्रपती संभाजीनगर, बुलढाणा, यवतमाळ और नागपुर जिला परिषद अध्यक्ष पद ‘सामान्य प्रवर्ग’ के लिए खुले रखे गए हैं। वहीं, ठाणे, सांगली, कोल्हापुर, लातूर, अमरावती, गोंदिया और गडचिरोली जिलों में सामान्य (महिला) आरक्षण लागू किया गया है।

अनुसूचित जाति (SC) प्रवर्ग
बीड (महिला), हिंगोली, परभणी, वर्धा और चंद्रपूर (महिला) जिले अनुसूचित जाति प्रवर्ग के तहत आरक्षित किए गए हैं।

अनुसूचित जमाति (ST) प्रवर्ग
पालघर, नंदुरबार, अहिल्यानगर (महिला), अकोला (महिला) और वाशिम (महिला) जिले अनुसूचित जमाति प्रवर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं।

अन्य मागासवर्ग (OBC) प्रवर्ग
रत्नागिरी (महिला), धुले (महिला), सातारा (महिला), सोलापूर, जालना (महिला), नांदेड, धाराशिव (महिला), नागपूर और भंडारा जिलों के अध्यक्ष पद ओबीसी प्रवर्ग के लिए तय किए गए हैं।

महिला आरक्षण बनेगा बड़ा फैक्टर
सबसे खास बात ये है कि इस बार महिला आरक्षण का प्रभाव सबसे ज्यादा दिखने वाला है। कई जिलों में महिला उम्मीदवारों को नेतृत्व का अवसर मिलेगा, जिससे स्थानीय राजनीति में नए और युवा चेहरे उभर सकते हैं।

नतीजों पर रहेगा सीधा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि ये आरक्षण नीति सीधे तौर पर सत्ता समीकरण को प्रभावित करेगी। बड़े राजनीतिक दलों को अपने परंपरागत उम्मीदवारों के बजाय नए चेहरे लाने पड़ सकते हैं। इससे चुनावी रणनीति और गठजोड़ पर भी गहरा असर पड़ने की संभावना है।

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