मुंबई का शिवाजी पार्क दशहरा रैली का गवाह बनने जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) यहां अपनी ताक़त का प्रदर्शन करेगी। रैली के लिए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने अनुमति तो दे दी है, लेकिन इसके साथ 25 सख़्त शर्तें भी लगाई हैं। यही शर्तें उद्धव ठाकरे और उनके समर्थकों की चिंता का बड़ा कारण बन गई हैं।
रैली कब और क्यों खास है?
शिवसेना की दशहरा रैली राजनीतिक तौर पर हमेशा अहम मानी जाती है। ये कार्यक्रम सिर्फ़ पार्टी की परंपरा नहीं बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन का भी मंच है। इस बार ये रैली 2 अक्टूबर को आयोजित होगी। BMC की मंजूरी मिलने के बाद शिवसेना (UBT) ने तैयारियां तेज़ कर दी हैं।
BMC की शर्तें – चिंता का सबब
नगर निगम ने अनुमति के साथ कई नियम जोड़े हैं, जो इस प्रकार हैं:
शिवाजी पार्क मैदान के इस्तेमाल के लिए आयोजकों को हर दिन 250 रुपये के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी और सीजीएसटी शुल्क चुकाना होगा।
आयोजन के दौरान न्यायालय की ओर से नोटिस ऑफ मोशन संख्या 666/2015 के तहत तय किए गए सभी नियमों और शर्तों का पालन करना अनिवार्य होगा।
सरकार द्वारा 20 जनवरी 2016 को जारी निर्णय (क्रमांक बीएमसी-2515/पीआर.सं.1270/नवी-21) में बताए गए सभी नियमों और शर्तों का पालन करना होगा।
आयोजन से पहले संबंधित पुलिस थाने से अनुमति लेना ज़रूरी होगा। अगर कार्यक्रम में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना है, तो उसके लिए भी पुलिस से अलग से अनुमति प्राप्त करनी होगी।
- आयोजन के दौरान ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े वर्ष 2000 के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।
- आयोजन के दौरान उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका संख्या 173/2010 में 2015 और 2016 में दिए गए सभी आदेशों का पालन करना आवश्यक होगा।
- कार्यक्रम के लिए मुख्य अग्निशमन अधिकारी से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना ज़रूरी होगा।
- आयोजन के लिए संरचनात्मक इंजीनियर से स्थिरता प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य होगा।
- आयोजन के लिए 500 रुपये के स्टाम्प पेपर पर एक पंजीकृत वचनबद्धता देनी होगी, जिसमें यह स्पष्ट हो कि आप उच्च न्यायालय, सरकार और नगर निगम की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं करेंगे।
- आयोजन के दौरान यह ध्यान रखा जाए कि कार्यक्रम की आवाज़ परिसर से बाहर न जाए। साथ ही, उच्च न्यायालय की जनहित याचिका संख्या 10-2013 में दिए गए निर्देशों के अनुसार यह सुनिश्चित करना होगा कि लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण की कोई शिकायत न हो।
- कार्यक्रम समाप्त होने के बाद मैदान को उसकी मूल स्थिति में लौटाना अनिवार्य होगा। साथ ही, आयोजन के दौरान मैदान में किसी भी तरह के वाहन ले जाने पर पूरी तरह रोक रहेगी।
- शिवाजी पार्क मैदान से जुड़े मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर जारी किए गए सभी आदेशों, नियमों और शर्तों का पालन करना अनिवार्य होगा।
- अगर ठोस अपशिष्ट विभाग की ओर कोई सफाई शुल्क बकाया है, तो उसे जी/उत्तरी विभाग के मुख्य पर्यवेक्षक को जमा करना अनिवार्य होगा।
- रात्रि 10 बजे के बाद किसी भी तरह की बैठक या कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं होगी।
- अगर उसी दिन सरकार या नगर निगम कोई कार्यक्रम आयोजित करता है, तो दी गई अनुमति रद्द की जा सकती है।
- अगर मैदान को कोई नुकसान या दुरुपयोग पाया जाता है, तो आपके द्वारा जमा की गई सुरक्षा राशि जब्त कर ली जाएगी।
- आयोजन के सभी इंतज़ाम और व्यवस्थाएं हमें अपने खर्च पर करनी होंगी।
- कार्यक्रम के लिए लगाए गए मंडप, पंडाल या मंच को आयोजन समाप्त होने के तुरंत बाद हटा दिया जाना चाहिए और मैदान को उसकी मूल स्थिति में लौटाना अनिवार्य होगा।
- अगर किसी भी शर्त का उल्लंघन पाया जाता है, तो आपके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
- अगर शिवाजी पार्क मैदान का कोई हिस्सा किसी भी तरह क्षतिग्रस्त होता है, तो उसे उसकी मूल स्थिति में लौटाना अनिवार्य होगा ताकि अगले दिन से मैदान का सामान्य उपयोग जारी रखा जा सके।
- कृपया ध्यान दें कि परिसर में किसी भी तरह का खाना पकाना मना है।
- आवेदनकर्ता को आयोजन के लिए 20,000 रुपये की जमा राशि अदा करनी होगी।
- कृपया ध्यान दें कि अगर मैदान को कोई क्षति, दुरुपयोग या शर्तों का उल्लंघन पाया जाता है, तो आपके जमा किए गए 20,000 रुपये की राशि जब्त कर ली जाएगी और आपको अगले वर्ष मैदान में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी।
- ध्यान दें कि महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देश (क्रमांक एमपीसीबी/जीडी (एपीसी)/टीवी/बी-0297, दिनांक 20.03.2024) के अनुसार, छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क के मैदान में किसी भी प्रकार की मिट्टी डालना प्रतिबंधित है।
- अगर उपरोक्त शर्तों के अलावा कोई अन्य नियम या शर्तें लागू की जाती हैं, तो आपको सूचित किया जाएगा और उनका पालन करना अनिवार्य होगा।
इन शर्तों में से खासकर 16वीं शर्त ने उद्धव गुट की चिंता बढ़ा दी है। इसमें साफ़ कहा गया है कि अगर सरकार या नगर निगम उसी दिन कोई कार्यक्रम आयोजित करता है तो शिवसेना की अनुमति रद्द की जा सकती है।
उद्धव ठाकरे की बढ़ी टेंशन
शिवाजी पार्क शिवसेना की पहचान माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों से पार्टी में हुए विभाजन के बाद ये रैली और भी अहम हो गई है। ऐसे में BMC की सख़्त शर्तें न सिर्फ़ आयोजन की चुनौती बढ़ा रही हैं बल्कि राजनीतिक दबाव भी खड़ा कर रही हैं।
सुरक्षा और सियासत दोनों पर नज़र
रैली में लाखों समर्थकों के जुटने की संभावना है। यही वजह है कि नगर निगम और पुलिस दोनों सुरक्षा और अनुशासन को लेकर बेहद सतर्क हैं। वहीं राजनीतिक हलकों में ये चर्चा भी तेज़ है कि इन शर्तों के पीछे सिर्फ़ प्रशासनिक कारण नहीं बल्कि सियासी रणनीति भी हो सकती है।
साफ है कि इस बार की दशहरा रैली सिर्फ़ राजनीतिक ताक़त दिखाने का मंच नहीं, बल्कि उद्धव ठाकरे के लिए एक सख़्त परीक्षा भी साबित हो सकती है।