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ठाणे में दर्दनाक घटना: महिला वकील ने सातवीं मंजिल से कूदकर दी जान, वायरल वीडियो ने उड़ाए होश

ठाणे
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महाराष्ट्र के ठाणे जिले के उल्हासनगर में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया। कैंप नंबर चार की रोमा बिल्डिंग की सातवीं मंजिल से एक महिला वकील, सरिता खान चंदानी ने छलांग लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। आखिर क्या वजह थी कि एक जुझारू और सामाजिक कार्यों में सक्रिय महिला ने ऐसा कदम उठाया? आइए, इस दुखद कहानी के हर पहलू को समझते हैं।

क्या हुआ उस दिन?
ये दर्दनाक घटना दोपहर करीब साढ़े बारह बजे की है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सरिता ने छलांग लगाने से पहले भगवान से प्रार्थना की और फिर सातवीं मंजिल से कूद गईं। इस दौरान उन्हें गंभीर चोटें आईं। आनन-फानन में उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें सरिता की अंतिम क्षणों की तस्वीरें कैद हैं। ये वीडियो देखकर हर किसी का दिल दहल उठा।

किरायेदार से विवाद बना मौत का कारण?
मिली जानकारी के अनुसार, सरिता ने अपने ऑफिस के पीछे का एक कमरा एक महिला को किराए पर दिया था। बुधवार को कमरा खाली करने को लेकर दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसके बाद किरायेदार महिला ने सरिता के खिलाफ विठ्ठलवाड़ी पुलिस थाने में मारपीट की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर गैर-संज्ञेय (एनसी) मामला दर्ज किया था। बताया जा रहा है कि इस घटना ने सरिता को गहरे मानसिक आघात पहुंचाया।

सोशल मीडिया पर बदनामी ने तोड़ा हौसला?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, उल्हासनगर के एक नामचीन व्हाट्सएप ग्रुप में एक राजनीतिक कार्यकर्ता द्वारा सरिता के कई वीडियो साझा किए गए थे, जिन्हें उनकी छवि को धूमिल करने के लिए इस्तेमाल किया गया। इस अपमान और बदनामी ने सरिता को अंदर तक तोड़ दिया। वो इस मामले को लेकर विठ्ठलवाड़ी पुलिस थाने भी गई थीं, लेकिन वहां से उन्हें कितना न्याय मिला, ये अभी स्पष्ट नहीं है।

कौन थीं सरिता खान चंदानी?
सरिता खान चंदानी न केवल एक कुशल वकील थीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी थी। वो हीराली फाउंडेशन नामक संस्था की संस्थापक थीं, जो उल्हासनगर से होकर बहने वाली उल्हास और वालधुनी नदियों को स्वच्छ करने के लिए काम करती थी। जल और वायु प्रदूषण के खिलाफ उनकी मुहिम ने उन्हें कई लोगों का समर्थन दिलाया, लेकिन साथ ही कुछ लोगों की नाराजगी भी। उनकी इस जुझारू और साहसी छवि को देखते हुए स्थानीय लोग हैरान हैं कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि उन्होंने इतना बड़ा कदम उठा लिया।

स्थानीय लोगों का दर्द: “वो इतनी आसानी से हार नहीं मान सकती थीं”
स्थानीय लोगों के बीच सरिता की छवि एक नन्हा सा सूरज थी, जो अपने दम पर समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर रही थी। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “सरिता एक ऐसी शख्सियत थीं, जो कभी हार नहीं मानती थीं। उनके इस कदम ने हमें हिलाकर रख दिया। आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला किया?” लोग इस घटना को लेकर गहरे दुख और आक्रोश में हैं।

पुलिस जांच में क्या सामने आया?
विठ्ठलवाड़ी पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। डिप्टी पुलिस कमिश्नर (डीसीपी) सचिन गोरे ने बताया कि पुलिस हर संभावित पहलू की जांच कर रही है। “हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। किरायेदार के साथ विवाद, सोशल मीडिया पर बदनामी और अन्य कारणों की गहन जांच की जा रही है। हम ये सुनिश्चित करेंगे कि इस मामले में कोई भी दोषी बचे नहीं,” डीसीपी गोरे ने कहा।

एक सबक और सवाल
ये घटना न केवल एक परिवार और समुदाय के लिए दुखद है, बल्कि ये हमें कई गंभीर सवालों के सामने भी लाकर खड़ा करती है। सोशल मीडिया पर बदनामी और मानसिक दबाव आज के दौर में कितना खतरनाक हो सकता है? क्या हम अपने समाज में ऐसी संवेदनशीलता ला सकते हैं, जो किसी की जिंदगी को बचाए? सरिता जैसी नन्हीं सी कोशिशें, जो पर्यावरण और समाज के लिए काम कर रही थीं, क्या यूं ही खामोश हो जाएंगी?

पुलिस की जांच अभी जारी है, और उम्मीद है कि इस मामले में जल्द ही सच्चाई सामने आएगी। लेकिन सरिता की कहानी हमें ये सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने आसपास के लोगों की कितनी मदद कर सकते हैं। अगर कोई मानसिक तनाव में है, तो उसे समय रहते सहारा देना कितना जरूरी है।

क्या आप इस घटना से जुड़े किसी पहलू पर अपनी राय रखना चाहते हैं? नीचे कमेंट करें और इस दुखद कहानी पर अपने विचार साझा करें। आइए, हम सब मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक संवेदनशील समाज की दिशा में कदम बढ़ाएं।

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