अमेरिका और भारत के रिश्तों को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन ने बड़ा दावा किया है कि डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने कभी कोशिश की थी कि ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच तनाव पैदा हो।
नवारो की भूमिका पर उठे सवाल
बोल्टन ने एक इंटरव्यू में व्यंग्य करते हुए कहा कि अगर नवारो को किसी कमरे में अकेला छोड़ दिया जाए, तो थोड़ी देर बाद वे खुद से ही बहस करना शुरू कर देंगे। उनका इशारा था कि नवारो बेहद टकराववादी सोच रखते थे और यही रवैया उन्होंने भारत के साथ संबंधों में भी दिखाया।
रिपोर्ट के मुताबिक, नवारो ने नई दिल्ली की रूस से तेल खरीद को लेकर कड़ा विरोध जताया था और इसे “ब्लड मनी” तक कहा था। इतना ही नहीं, उन्होंने भारत को “टैरिफ महाराजा” कहकर भी निशाना बनाया और चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में भारत ने लचीलापन नहीं दिखाया, तो इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे।
असली एजेंडे से भटकाने की कोशिश
बोल्टन का कहना है कि जब ट्रंप और मोदी के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही थी, तब उम्मीद थी कि दोनों नेता चीन और वैश्विक चुनौतियों जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। लेकिन नवारो ने बातचीत का फोकस केवल व्यापारिक शिकायतों पर ला दिया। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।
भारत-अमेरिका संबंधों पर बोल्टन की राय
बोल्टन का मानना है कि भारत को नवारो जैसी बयानबाजी और सोशल मीडिया की धमकियों पर ध्यान देने के बजाय असली मुद्दों पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच किसी भी व्यापार समझौते के लिए दोनों देशों को ईमानदार नीयत के साथ बातचीत करनी होगी। हालांकि उन्होंने ये भी माना कि ऐसे मसले आसान नहीं होते और इन्हें सुलझाने में समय लगेगा।
ये खुलासा दिखाता है कि किस तरह व्यक्तिगत विचारधाराएं और टकराववादी रवैया कभी-कभी दो देशों के संबंधों पर असर डाल सकते हैं। बोल्टन का बयान ये संकेत देता है कि भारत और अमेरिका के बीच असली साझेदारी राजनीतिक बयानबाजी से नहीं, बल्कि आपसी विश्वास और रणनीतिक मुद्दों पर सहयोग से मजबूत होगी।
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