Drone Surveys to Curb Illegal Mining: महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने अवैध खनन को रोकने और पर्यावरण के अनुकूल रेत परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल शुरू की है। इस पहल के तहत, ड्रोन आधारित सर्वेक्षण (Drone-Based Surveys) को पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है। यह कदम न केवल अवैध खनन गतिविधियों पर लगाम लगाएगा, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार और टिकाऊ खनन प्रथाओं को भी प्रोत्साहित करेगा। यह लेख आपको इस अभिनव पहल के बारे में विस्तार से बताएगा, जिसमें ड्रोन तकनीक का उपयोग, इसके फायदे और महाराष्ट्र के खनन क्षेत्र में इसके प्रभाव को समझाया जाएगा।
महाराष्ट्र में खनन, विशेष रूप से रेत, पत्थर और बजरी जैसे गौण खनिजों का खनन, लंबे समय से एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र रहा है। कई बार, अवैध खनन (Illegal Mining) के कारण न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर क्षति पहुंचती है। नदियों और तटीय क्षेत्रों से अंधाधुंध रेत निकालने से प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा पैदा होता है। इस समस्या को हल करने के लिए, चंद्रशेखर बावनकुले ने ड्रोन आधारित सर्वेक्षण को एक प्रभावी उपकरण के रूप में चुना है। यह तकनीक न केवल खनन गतिविधियों की निगरानी को आसान बनाएगी, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ाएगी।
इस पहल की शुरुआत एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हुई, जिसमें ड्रोन का उपयोग करके खनन क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया। परंपरागत सर्वेक्षण विधियों में कई सीमाएं थीं, जैसे समय की अधिक खपत और अवैध गतिविधियों का पता लगाने में कठिनाई। लेकिन ड्रोन आधारित सर्वेक्षण (Drone-Based Surveys) ने अपनी सटीकता और गति से सभी को प्रभावित किया है। इस तकनीक के माध्यम से, खनन क्षेत्रों का वास्तविक समय में डेटा एकत्र किया जा सकता है, जो न केवल अवैध खनन को रोकने में मदद करता है, बल्कि खनिज संसाधनों का बेहतर प्रबंधन भी सुनिश्चित करता है। बावनकुले ने बताया कि इस तकनीक के शुरुआती परीक्षण बेहद सफल रहे हैं, और अब इसे पूरे राज्य में लागू करने की योजना है।
इस पहल का एक प्रमुख उद्देश्य अगले तीन महीनों में सभी खनन क्षेत्रों का व्यापक मानचित्रण करना है। इस मानचित्रण से सरकार को यह समझने में मदद मिलेगी कि कहां और कितना खनन हो रहा है। इससे न केवल अवैध खनन (Illegal Mining) पर रोक लगेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि खनिज संसाधनों का उपयोग टिकाऊ तरीके से हो। इसके लिए, ड्रोन से एकत्र किए गए डेटा को हर तीन महीने में जिला कलेक्टरों को सौंपा जाएगा और इसे राज्य के “महाखनिज” पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा कि खनन गतिविधियां सभी के लिए जवाबदेह हों।
ड्रोन तकनीक का उपयोग न केवल अवैध गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करता है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं को भी बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, कृत्रिम रेत उत्पादन (Artificial Sand Production) जैसी परियोजनाएं नदियों से रेत निकालने पर निर्भरता को कम करती हैं। यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, क्योंकि नदियों से अत्यधिक रेत निकालने से नदी तटों का कटाव और जैव विविधता को नुकसान होता है। बावनकुले ने जोर देकर कहा कि ड्रोन आधारित सर्वेक्षण न केवल राजस्व संग्रह को बेहतर बनाएंगे, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार खनन प्रथाओं को भी प्रोत्साहित करेंगे।
इस पहल के तहत, सरकार ने मानकीकृत सर्वेक्षण प्रक्रियाएं स्थापित करने, व्यापक मूल्यांकन मानदंड तय करने और पारदर्शी निविदा प्रक्रिया सुनिश्चित करने की योजना बनाई है। ड्रोन के उपयोग से खनन क्षेत्रों की सटीक जानकारी प्राप्त होगी, जैसे कि कितना पत्थर और रेत उपलब्ध है, और कहां अवैध गतिविधियां हो रही हैं। इससे न केवल सरकार को नीति बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि निर्माण उद्योग को भी टिकाऊ संसाधनों की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
महाराष्ट्र के कई जिलों, जैसे पुणे, सोलापुर और सांगली, में अवैध खनन की समस्या गंभीर रही है। बावनकुले ने विधानसभा में स्वीकार किया कि कुछ बड़े निगमों ने अनुमति से अधिक खनन किया है, जिसके लिए कठोर कार्रवाई की जाएगी। ड्रोन आधारित सर्वेक्षण इस तरह की अनियमितताओं को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। साथ ही, यह तकनीक भविष्य में होने वाली खनन गतिविधियों की योजना बनाने में भी मदद करेगी, ताकि संसाधनों का उपयोग संतुलित और टिकाऊ तरीके से हो।
इसके अलावा, सरकार ने कृत्रिम रेत उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। कृत्रिम रेत, जो पत्थरों को कुचलकर बनाई जाती है, नदियों से रेत निकालने का एक बेहतर विकल्प है। यह न केवल पर्यावरण को बचाता है, बल्कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और मात्रा को भी बनाए रखता है। बावनकुले ने बताया कि सरकार प्रत्येक जिले में 50 क्रशर मशीनें स्थापित करने की योजना बना रही है, जिससे कृत्रिम रेत की आपूर्ति बढ़ेगी। यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी।
यह पहल नई पीढ़ी के लिए भी एक प्रेरणा है। तकनीक का उपयोग करके, सरकार न केवल समस्याओं का समाधान कर रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि नवाचार और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं। ड्रोन आधारित सर्वेक्षण (Drone-Based Surveys) और अवैध खनन (Illegal Mining) पर नियंत्रण जैसे कदम न केवल महाराष्ट्र के खनन क्षेत्र को बदल रहे हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारी प्राकृतिक संपदा को भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जाए।
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