गणेशोत्सव 2025: गणेशोत्सव 2025 से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसने मूर्तिकारों और गणेशोत्सव मंडलों में खुशी की लहर दौड़ा दी है। कोर्ट ने प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी गणेश मूर्तियों पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है। हालांकि, इस छूट के साथ एक अहम शर्त जोड़ी गई है कि इन मूर्तियों का विसर्जन केवल कृत्रिम तालाबों में ही किया जा सकेगा, प्राकृतिक जलस्रोतों जैसे नदियों, झीलों या समुद्र में नहीं।
कोर्ट का फैसला और शर्तें
मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति संदीप मारणे की पीठ ने स्पष्ट किया कि पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए पीओपी मूर्तियों का विसर्जन प्राकृतिक जलस्रोतों में पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को तीन हफ्तों के भीतर एक समिति गठित करने और पीओपी मूर्तियों के विसर्जन के लिए उपायों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इस फैसले से अब घरों और गणेश मंडलों में छोटी-बड़ी पीओपी मूर्तियों की स्थापना की जा सकेगी, बशर्ते विसर्जन पर्यावरण-अनुकूल तरीके से हो।
कोर्ट में क्या हुआ?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने साफ किया कि किसी भी स्थिति में प्राकृतिक जलस्रोतों में पीओपी मूर्तियों का विसर्जन नहीं होगा।
कृत्रिम जलस्रोतों में ही विसर्जन की अनुमति दी गई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की विशेषज्ञ समिति ने सुझाव दिया कि पीओपी मूर्तियों का निर्माण तो हो सकता है, लेकिन विसर्जन प्राकृतिक जलस्रोतों में नहीं होना चाहिए।
न्यायमूर्ति मारणे ने प्रस्ताव रखा कि क्या मंडलों को हर साल एक ही मूर्ति का उपयोग करने और उसे संरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
राज्य के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने कहा कि 20 फीट या उससे बड़ी मूर्तियां हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं और इन्हें कुछ छूट दी जानी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार कृत्रिम जलस्रोत बना सकती है, जहां पीओपी मूर्तियों का विसर्जन हो।
CPCB की सिफारिशें
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की विशेषज्ञ समिति ने पर्यावरण-अनुकूल विसर्जन के लिए निम्नलिखित सिफारिशें दी हैं –
विसर्जन के लिए केवल अस्थायी कृत्रिम जलस्रोतों का उपयोग हो।
पीओपी मूर्तियों का विसर्जन नदियों, झीलों, प्राकृतिक तालाबों या समुद्र में न हो।
विसर्जन के बाद तालाबों से कचरे को हटाया जाए और पीओपी सामग्री को रीसायकल या सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जाए।
2020 में जारी CPCB के पर्यावरण-अनुकूल मूर्ति विसर्जन दिशानिर्देशों का पालन अनिवार्य हो।
गणेशोत्सव मंडलों और मूर्तिकारों में खुशी
इस फैसले ने गणेशोत्सव मंडलों और मूर्तिकारों को बड़ी राहत दी है। अब वे पीओपी मूर्तियों का निर्माण और बिक्री बिना किसी रोक-टोक के कर सकेंगे। हालांकि, पर्यावरण संरक्षण की शर्तों का पालन करना अनिवार्य होगा। ये निर्णय गणेशोत्सव की तैयारियों को और भव्य बनाने में मदद करेगा, साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा देगा।
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