देश-विदेश

कल से शुरू हो रही है जगन्नाथ रथ यात्रा: जानिए भगवान जगन्नाथ के रथ की खास बातें

कल से शुरू हो रही है जगन्नाथ रथ यात्रा: जानिए भगवान जगन्नाथ के रथ की खास बातें
पुरी की विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई में होने वाली है। यह यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के रथ निकाले जाते हैं।
जगन्नाथ यात्रा के बारे में
पुरी, ओडिशा में हर साल आषाढ़ माह में जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथपुरी भारत के चार धामों में से एक है और यहां का श्रीजगन्नाथ मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर को धरती का वैकुंठ भी कहा जाता है। इस साल पुरी की जगन्नाथ यात्रा 7 जुलाई, रविवार से शुरू हो रही है।

कल से शुरू हो रही है जगन्नाथ रथ यात्रा: जानिए भगवान जगन्नाथ के रथ की खास बातें

रथ यात्रा की विशेषताएं
जगन्नाथ रथ यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होती है। इस यात्रा के लिए भगवान श्रीकृष्ण, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के लिए नीम की लकड़ियों से रथ तैयार किए जाते हैं।

कल से शुरू हो रही है जगन्नाथ रथ यात्रा: जानिए भगवान जगन्नाथ के रथ की खास बातें

  • भगवान बलराम का रथ: इसे तालध्वज कहा जाता है और इसका रंग लाल और हरा होता है।
  • देवी सुभद्रा का रथ: इसे दर्पदलन या पद्मरथ कहा जाता है और इसका रंग काला या नीला होता है।
  • भगवान जगन्नाथ का रथ: इसे नंदिघोष या गरुड़ध्वज कहा जाता है और इसका रंग पीला या लाल होता है।
नंदिघोष रथ की ऊंचाई 45 फीट होती है, तालध्वज रथ भी 45 फीट ऊंचा होता है और दर्पदलन रथ लगभग 44.7 फीट ऊंचा होता है।
रथ यात्रा का मार्ग
जगन्नाथ रथ यात्रा, जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर 3 किलोमीटर दूर गुंडीचा मंदिर तक जाती है। इसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। एक मान्यता यह भी है कि विश्वकर्मा ने इसी स्थान पर तीनों प्रतिमाओं का निर्माण किया था और यह भगवान जगन्नाथ की जन्मस्थली है। यहां तीनों देवी-देवता 7 दिनों के लिए विश्राम करते हैं। आषाढ़ माह के दसवें दिन रथ विधि-विधान से मुख्य मंदिर की ओर लौटते हैं। वापसी की यात्रा को बहुड़ा कहा जाता है।

ये भी पढ़ें: बिहार: सांप ने काटा, तो युवक ने भी सांप को काट लिया: जानिए पूरी कहानी

You may also like