भारतीय राजनीति में हाल ही में एक नया अध्याय जुड़ गया है, जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) के बीच एक जोरदार पत्र युद्ध छिड़ गया। मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र के जवाब में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है। इस पत्र ने दोनों दलों के बीच राजनीतिक जंग को और रोचक बना दिया है।
खरगे का पत्र और भाजपा का जवाब
मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को लेकर NDA नेताओं द्वारा की गई टिप्पणियों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि इस तरह के बयान से राजनीतिक गरिमा गिर रही है। लेकिन भाजपा इस पत्र को सिर्फ एक राजनीतिक चाल मान रही है।
भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने जवाबी पत्र में कहा, “खरगे जी, आपने जिस प्रकार से अपने ‘फेल्ड प्रोडक्ट’ यानी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को फिर से चमकाकर जनता के सामने पेश करने का प्रयास किया है, वह जनता के द्वारा बार-बार नकारे जाने के बावजूद एक और असफल कोशिश है।” नड्डा ने खरगे पर आरोप लगाया कि वे अपने नेताओं की करतूतों को नजरअंदाज कर रहे हैं या भूलने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि देश की जनता उन घटनाओं से भली-भांति परिचित है।
राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर हमला
जेपी नड्डा ने अपने पत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी के विवादास्पद बयानों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी ने एक बार संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर डंडे से मारने की बात कही थी। इस तरह के बयान से पूरा देश वाकिफ है, और अब आप उसी राहुल गांधी को सही ठहराने का प्रयास कर रहे हैं।” नड्डा ने आगे लिखा, “ये राहुल गांधी की माताजी, सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), ही थीं जिन्होंने मोदी जी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था।”
यह बयान न केवल राहुल गांधी के बयानों पर निशाना था, बल्कि कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक शुचिता पर भी सवाल खड़ा किया गया। नड्डा ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस पार्टी ने जब खुद अपशब्दों का इस्तेमाल किया था, तब उन्हें राजनीतिक मर्यादा की याद क्यों नहीं आई?
राजनीतिक लड़ाई या रणनीति?
कांग्रेस और भाजपा के बीच की यह तकरार केवल राजनीतिक वाकयुद्ध नहीं है, बल्कि यह आने वाले चुनावों के मद्देनजर तैयार की जा रही रणनीतियों का भी हिस्सा हो सकता है। खरगे के पत्र और नड्डा के जवाबी हमलों के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है कि दोनों पार्टियां राजनीतिक मोर्चे पर कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
इस पूरे मामले में जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह है जनता की प्रतिक्रिया। क्या जनता इसे सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी मानकर नजरअंदाज करेगी, या इससे चुनावी समीकरण बदल सकते हैं? यह सवाल अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गया है।
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