प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या तो हम जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक के बेहद छोटे कण हमारे दिमाग तक पहुंच रहे हैं? एक नए अध्ययन से यह पता चला है। ये माइक्रोप्लास्टिक हमारी सेहत के लिए कितने खतरनाक हो सकते हैं, आइए समझते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक क्या हैं? प्लास्टिक के 5 मिलीमीटर से भी छोटे टुकड़े ‘माइक्रोप्लास्टिक’ कहलाते हैं। ये पानी, खाने, यहाँ तक कि हवा में भी होते हैं।
शरीर में कैसे पहुंचते हैं? डॉक्टरों के अनुसार, हम जो सांस लेते हैं, खाना-पानी या फिर त्वचा के ज़रिए भी ये कण शरीर के अंदर जा सकते हैं।
ये माइक्रोप्लास्टिक हमारे खून के ज़रिए गुर्दे, लिवर, और दिमाग जैसे महत्वपूर्ण अंगों तक पहुंच सकते हैं। दिमाग के लिए यह स्थिति खासतौर पर चिंताजनक है।
दिमाग पर असर: माइक्रोप्लास्टिक दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे सोचने-समझने की क्षमता घटने का खतरा है। लंबे समय में, अल्ज़ाइमर जैसी दिमागी बीमारियां तक हो सकती हैं।
दिमाग के अलावा, माइक्रोप्लास्टिक शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी बुरा असर डालते हैं। कैंसर जैसी बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।
इस अध्ययन से पता चलता है कि प्लास्टिक प्रदूषण को रोकना सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं, हमारी खुद की सेहत के लिए भी बेहद ज़रूरी है।