Mysterious Disease in Buldhana: महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में एक ऐसी रहस्यमयी बीमारी ने लोगों के दिलों में दहशत पैदा कर दी है, जिसने पहले उनके बाल छीने और अब उनके नाखून गिरा रही है। यह कहानी किसी डरावनी फिल्म की तरह लग सकती है, लेकिन यह हकीकत है, जो बुलढाणा के शेगांव, नांदुरा, और खामगांव तालुका के चार गांवों में रहने वाले लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर रही है। पिछले कुछ महीनों से इस क्षेत्र में पहले अचानक बाल झड़ने की समस्या सामने आई, जिसे लोग ‘गंजा वायरस’ (Baldness Virus) कहने लगे। लेकिन अब यह बीमारी और भयावह रूप ले चुकी है, क्योंकि प्रभावित लोगों के नाखून कमजोर होकर गिर रहे हैं। इस रहस्यमयी बीमारी (Mysterious Disease) ने न केवल लोगों को डराया है, बल्कि स्वास्थ्य प्रशासन और वैज्ञानिकों के सामने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
सब कुछ पिछले दिसंबर से शुरू हुआ, जब बुलढाणा के कुछ गांवों में लोगों ने देखा कि उनके बाल अचानक झड़ रहे हैं। पहले तो इसे मौसमी बदलाव या सामान्य समस्या समझा गया। बच्चे, महिलाएं, युवा, और बुजुर्ग—हर कोई इसकी चपेट में आ रहा था। लेकिन जैसे-जैसे मामले बढ़े, यह साफ हो गया कि यह कोई सामान्य बात नहीं है। जांच में पता चला कि सरकारी राशन की दुकानों से मिलने वाले गेहूं में सेलेनियम की अत्यधिक मात्रा हो सकती है, जो बाल झड़ने का कारण बनी। इस खबर ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। लोग डरने लगे कि उनका खाना ही उनकी सेहत के लिए खतरा बन रहा है। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।
कुछ महीनों बाद, जिन लोगों के बाल झड़ चुके थे, उन्होंने एक नई समस्या देखी। उनके नाखून कमजोर हो रहे थे, उनका रंग बदल रहा था, और कई मामलों में नाखून पूरी तरह गिर जा रहे थे। बुलढाणा के बोंडगांव, पिंपलगांव, चिखली, और अन्य गांवों में यह समस्या तेजी से फैलने लगी। एक ग्रामीण ने बताया कि उसने पहले सोचा था कि शायद साबुन या पानी की वजह से ऐसा हो रहा है, लेकिन जब नाखून गिरने शुरू हुए, तो उसे डर लगने लगा। चार गांवों में अब तक 29 मरीजों में नाखून गिरने की समस्या (Nail Falling Issue) देखी गई है। यह संख्या भले ही छोटी लगे, लेकिन यह पूरे क्षेत्र में भय का कारण बन चुकी है।
स्वास्थ्य विभाग ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। बुलढाणा के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल बनकर ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सेलेनियम की अत्यधिक मात्रा को इस समस्या का कारण माना जा रहा है। सेलेनियम एक ऐसा तत्व है, जो शरीर के लिए जरूरी तो है, लेकिन इसकी अधिकता नुकसानदायक हो सकती है। यह तत्व मिट्टी, पानी, या खाद्य पदार्थों के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बुलढाणा के कुछ इलाकों में मिट्टी या पानी में सेलेनियम का स्तर सामान्य से ज्यादा हो सकता है, जो पहले बाल झड़ने और अब नाखून गिरने का कारण बन रहा है। लेकिन यह केवल एक अनुमान है, क्योंकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की अंतिम रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है।
लोगों का गुस्सा इस बात पर है कि पिछले दिसंबर से जांच चल रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला। ICMR की टीम ने कई बार रक्त, पानी, और मिट्टी के नमूने लिए हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट का इंतजार अब भी जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य प्रशासन ने उन्हें अंधेरे में रखा है। कुछ मरीजों को प्राथमिक उपचार देकर शेगांव के उप-जिला अस्पताल भेज दिया गया है, लेकिन ज्यादातर लोगों को लगता है कि उनकी परेशानी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। एक महिला ने बताया कि उसके पति के नाखून गिरने के बाद उनकी उंगलियों में दर्द होने लगा है, लेकिन डॉक्टरों ने केवल कुछ दवाएं दीं और आगे की जांच का कोई जवाब नहीं दिया।
यह बीमारी न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी लोगों को प्रभावित कर रही है। गांवों में डर का माहौल है। लोग अपने खाने-पीने की चीजों पर शक करने लगे हैं। कई परिवारों ने बाहर से पानी और अनाज मंगाना शुरू कर दिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि स्थानीय संसाधन ही इस बीमारी का कारण बन रहे हैं। बच्चे स्कूल जाने से डर रहे हैं, क्योंकि उनके सहपाठी उनके झड़े हुए बालों और गिरे नाखूनों का मजाक उड़ाते हैं। यह स्थिति सिर्फ एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक बड़ा संकट बन चुकी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सेलेनियम की अत्यधिक मात्रा शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकती है। यह तत्व नाखूनों और बालों को कमजोर कर सकता है, क्योंकि ये दोनों शरीर के ऐसे हिस्से हैं जो पर्यावरण और आहार के प्रति संवेदनशील होते हैं। लेकिन यह समझना जरूरी है कि सेलेनियम की अधिकता के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, फंगल संक्रमण (Fungal Infection) या पोषक तत्वों की कमी भी नाखूनों को कमजोर कर सकती है। बुलढाणा में पानी और मिट्टी की जांच से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या कोई रासायनिक तत्व या प्रदूषण इस समस्या को बढ़ा रहा है।
इस बीच, मरीजों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने नाखूनों और त्वचा को साफ रखें। डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि साफ पानी का उपयोग करें, नाखूनों को छोटा रखें, और किसी भी तरह के रासायनिक साबुन या डिटर्जेंट से बचें। लेकिन यह सलाह ग्रामीणों के लिए पर्याप्त नहीं है। वे चाहते हैं कि उनकी समस्या का स्थायी समाधान निकले। लोग यह भी पूछ रहे हैं कि अगर यह बीमारी सेलेनियम की वजह से है, तो क्या यह आगे और गंभीर रूप ले सकती है? क्या यह केवल नाखून और बालों तक सीमित रहेगी, या शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करेगी?
बुलढाणा की यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे पर्यावरण और खानपान की गुणवत्ता कितनी महत्वपूर्ण है। एक छोटा सा तत्व, जो सामान्य रूप से हमारे लिए फायदेमंद है, अत्यधिक मात्रा में जहर बन सकता है। यह समस्या सिर्फ बुलढाणा तक सीमित नहीं है। यह एक चेतावनी है कि हमें अपने पानी, मिट्टी, और खाद्य पदार्थों की नियमित जांच पर ध्यान देना होगा। बुलढाणा के लोग आज एक अनजान डर के साये में जी रहे हैं, और उनकी उम्मीदें अब ICMR की उस रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस रहस्य को सुलझा सकती है।