N Chandrababu Naidu Oath: बुधवार की सुबह के साथ ही चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेकक कार्यभार संभाल लिया है। तेलुगु देशम पार्टी के चीफ एन चंद्रबाबू नायडू के इस शपथग्रण समारोह का आयोजन विजयवाड़ा के केसरपल्ली आईटी पार्क में किया गया। 68 वर्षीय नायडू ने इस पद पर काबिज होकर इतिहास रच दिया है क्योंकि पहले किसी भी नेता ने इतनी बार मुख्यमंत्री पद नहीं संभाला था। उनके करिअर में ये एक और उल्लेखनीय उपलब्धि जुड़ गई है।
शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। मोदी ने नायडू को गले लगाकर बधाई दी, जिससे केंद्र और राज्य के बीच मजबूत सहयोग की उम्मीद बंधी है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में नायडू और मोदी के बीच विशेष राज्य के दर्जे, राजधानी निर्माण और कर्ज माफी जैसे कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। लेकिन अब विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों एकजुट होकर आंध्र के विकास पर काम करेंगे।
समारोह के एक अन्य आकर्षण रहे जनसेना पार्टी के मुखिया और सिनेमा सुपरस्टार पवन कल्याण का उपमुख्यमंत्री बनना। शपथ लेने के बाद पवन ने नायडू के पैर छुए, जिससे उनके प्रति सम्मान और विनम्रता झलकी। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों दलों के गठबंधन में टकराव रहेगा क्योंकि जनसेना पर पिछड़े कापू समुदाय के वोटरों की राय बनाए रखने का दबाव होगा। कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि नायडू अपने 36 वर्षीय बेटे लोकेश को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं और पवन को भी इसी रूप में देखते हैं।
नई कैबिनेट का गठन भी काफी दिलचस्प रहा क्योंकि इसमें सभी प्रमुख जातियों और पिछड़े समुदायों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। कुल 26 मंत्रियों में से 20 नायडू के तेलुगू देशम पार्टी से हैं, जबकि 3 जनसेना, 1 भाजपा, 1 अनुसूचित जाति और 1 अनुसूचित जनजाति वर्ग से है। नायडू के बेटे नारा लोकेश को भी प्रमुख पोर्टफोलियो दिया गया है।
नई सरकार के सामने कई जटिल चुनौतियां हैं – बेरोजगारी दर बढ़ना, कृषि संकट, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना और पर्याप्त राजकोषीय घाटा। आंध्र की अर्थव्यवस्था पिछले 5 वर्षों में औसत 7.3% की दर से बढ़ी है, लेकिन विकास सुस्त रहा है। जिसके लिए नई सरकार को कड़ा परिश्रम करना होगा।
उद्योग और व्यापार को आकर्षित करने के लिए नायडू 20 विशेष आर्थिक जोन और फ्री ट्रेड वेयरहाउसिंग जोन बनाने पर विचार कर रहे हैं। साथ ही पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों के प्रति आंध्र प्रदेश की जाने वाली प्रतिबद्धता का आह्वान करेंगे। हालांकि, अप्रैल 2024 तक ऊर्जा संकट से निपटना उनकी सबसे बड़ी चुनौती होगी।
सरकार की महत्वाकांक्षी पंचायती राज विकेंद्रीकरण योजना भी विवादास्पद रही है, जिसके तहत ग्राम पंचायतों को आय अर्जित करने की शक्तियां दी गई हैं। इसके विरोध में प्रदेश भर में प्रदर्शन हुए थे।
अंततः, नायडू के समक्ष लगभग सभी मोर्चों पर काम करना होगा। उनके नेतृत्व क्षमता पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। यदि वो राज्य में शांति, न्याय और विकास का माहौल बना पाते हैं तो आंध्र प्रदेश फिर से उभर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वो सफल रहे तो 2029 तक आंध्र 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।