महाराष्ट्र

Nagpur’s Birdman: नागपुर के बर्डमैन सतपुरुष वानखेड़े, 22 साल से पक्षियों को खाना खिलाने वाला शख्स

Nagpur’s Birdman: नागपुर के बर्डमैन सतपुरुष वानखेड़े, 22 साल से पक्षियों को खाना खिलाने वाला शख्स

Nagpur’s Birdman: यह कहानी है सतपुरुष वानखेड़े की, जिन्हें लोग प्यार से नागपुर का बर्डमैन (Nagpur Ka Birdman) कहते हैं। पिछले 22 सालों से यह शख्स हर सुबह अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर पक्षियों को खाना खिलाता है। यह कोई साधारण काम नहीं है, बल्कि एक ऐसा जुनून है जो प्रकृति के प्रति उनके प्यार को दिखाता है। उनकी यह मेहनत नई पीढ़ी के लिए भी एक बड़ा संदेश देती है कि हमें अपने आसपास के पर्यावरण को बचाना कितना जरूरी है।

सतपुरुष वानखेड़े का दिन सुबह 7:30 बजे शुरू होता है। वह अपने कंधे पर एक बैग लटकाते हैं, जिसमें अनाज और पानी के डिब्बे भरे होते हैं। फिर वह नागपुर के मशहूर अंबाझरी गार्डन की ओर चल पड़ते हैं। वहाँ अगले तीन घंटे तक वह अलग-अलग जगहों पर पक्षियों के लिए खाना और पानी रखते हैं। जैसे ही वह अनाज बिखेरते हैं, सैकड़ों पक्षी उनकी ओर उड़कर आते हैं। यह नजारा इतना खूबसूरत होता है कि देखने वाले हैरान रह जाते हैं। वानखेड़े खुद कहते हैं, “मैं इन्हें अपना दोस्त मानता हूँ। मेरा एकमात्र लक्ष्य प्रकृति को बचाना है, जो हमें सब कुछ देती है।”

वानखेड़े की जिंदगी में यह काम कोई नया शौक नहीं है। वह पिछले 22-23 सालों से ऐसा कर रहे हैं। उनके पास एक छोटी-सी दोपहिया गाड़ियों की मरम्मत की दुकान है। इस दुकान से जो कमाई होती है, उससे वह अपने परिवार का खर्च चलाते हैं और पक्षियों के लिए अनाज भी खरीदते हैं। वह बताते हैं, “मैं अपनी कमाई से अपने परिवार और इन पक्षियों दोनों का ध्यान रखता हूँ, क्योंकि ये भी मेरे परिवार का हिस्सा हैं।” यह सुनकर लगता है कि उनका दिल कितना बड़ा है, जो इंसानों के साथ-साथ इन नन्हे जीवों के लिए भी धड़कता है।

नागपुर जैसे शहर में, जहाँ कंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे हैं, पक्षियों के लिए खाना और पानी ढूंढना मुश्किल हो गया है। पेड़ कट रहे हैं, और हरियाली कम हो रही है। ऐसे में वानखेड़े का यह प्रयास पक्षियों के लिए एक उम्मीद की किरण बन गया है। वह कहते हैं कि शहरों में गार्डन और हरियाली की बहुत जरूरत है, वरना ये पक्षी कहाँ जाएँगे। उनका यह काम सिर्फ पक्षियों को खिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रकृति संरक्षण के प्रयास (Prakriti Sanrakshan Ke Prayas) का एक हिस्सा है, जो हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक करता है।

समय के साथ-साथ वानखेड़े की मेहनत को लोगों ने भी देखा और सराहा। अंबाझरी गार्डन में आने वाले कई लोग उनकी तारीफ करते हैं। कुछ लोग तो उनके साथ मिलकर पक्षियों को खाना खिलाने में मदद भी करते हैं। यह देखकर लगता है कि एक इंसान की छोटी-सी कोशिश पूरे समुदाय को प्रेरित कर सकती है। बच्चे, बड़े, और नई पीढ़ी के लोग जब उन्हें देखते हैं, तो उनके मन में भी प्रकृति के लिए कुछ करने की इच्छा जागती है। यह एक ऐसा उदाहरण है, जो हमें बताता है कि हमें अपने आसपास की दुनिया को बेहतर बनाने के लिए बड़े कामों की जरूरत नहीं, बल्कि छोटे कदम भी बहुत मायने रखते हैं।

वानखेड़े की कहानी सुनकर यह भी समझ आता है कि वह अपने काम से कितना प्यार करते हैं। वह कहते हैं, “कोई भी अच्छा काम करना सुख देता है।” उनकी यह बात हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हम भी अपने स्तर पर कुछ ऐसा कर सकते हैं, जो प्रकृति और समाज के लिए फायदेमंद हो। उनके बैग में भरे अनाज और पानी के डिब्बे सिर्फ पक्षियों के लिए नहीं, बल्कि हमारे लिए भी एक संदेश हैं कि हमें अपने पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिए।

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