भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में यह बात कही कि वोटिंग प्रतिशत का डेटा रातोरात जारी नहीं किया जा सकता। यह बयान एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर एक याचिका के संदर्भ में आया, जिसमें ECI से अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17सी-1 (वोटिंग का डेटा) अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिका में उल्लेखित है कि 2024 लोकसभा चुनावों के पहले दो चरणों के लिए मतदान का डेटा, जो 19 अप्रैल को हुए पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और 26 अप्रैल को हुए दूसरे चरण के मतदान के 4 दिन बाद जारी किया गया, उसमें देरी हुई है। इस देरी के कारण और इसके प्रभाव को लेकर चिंता जताई गई है।
ECI का कहना है कि वोटिंग प्रतिशत का डेटा जारी करने में समय लगता है क्योंकि इसमें विभिन्न स्तरों पर जांच और सत्यापन की प्रक्रिया शामिल होती है। इसमें पोस्टल बैलट और अन्य मतपत्रों की गणना भी शामिल होती है, जिससे अंतिम मतदान प्रतिशत में वृद्धि हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने ECI से इस देरी पर जवाब मांगा है और इस मामले को 24 मई 2024 को सुनवाई के लिए रखा गया है। इस मामले में आगे की सुनवाई और ECI के जवाब से यह स्पष्ट होगा कि वोटिंग प्रतिशत के डेटा को जारी करने में देरी के पीछे क्या कारण हैं और भविष्य में इसे कैसे सुधारा जा सकता है। यह मामला चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और समय पर डेटा जारी करने की महत्वपूर्णता को भी उजागर करता है।