महिलाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी आ रही है। कर्नाटक सरकार एक ऐसा नियम लाने की सोच रही है जो महिलाओं की जिंदगी को आसान बना देगा। सरकार का प्लान है कि वह काम करने वाली महिलाओं को साल में 6 दिन की पीरियड छुट्टी (Period Leave) दे। यानी महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान घर पर आराम कर सकेंगी और उनकी तनख्वाह में से कोई पैसा नहीं कटेगा।
पीरियड छुट्टी (Period Leave) क्या है?
पीरियड छुट्टी (Period Leave) का मतलब है कि महिलाओं को अपने मासिक धर्म के दिनों में काम से छुट्टी मिलेगी। हर महीने महिलाओं को पीरियड्स आते हैं, जिसमें कई बार उन्हें बहुत दर्द और परेशानी होती है। ऐसे में अगर उन्हें काम पर जाना पड़े तो वे ठीक से काम नहीं कर पातीं। इसलिए सरकार सोच रही है कि महिलाओं को इस दौरान छुट्टी दी जाए।
सरकार का प्लान
कर्नाटक सरकार ने इस नियम को बनाने के लिए 18 लोगों की एक टीम बनाई है। इस टीम ने अपनी रिपोर्ट दे दी है जिसमें कहा गया है कि महिलाओं को साल में 6 दिन की पेड छुट्टी दी जाए। इसका मतलब है कि महिलाएं 6 दिन घर पर रह सकेंगी और उनकी सैलरी भी नहीं कटेगी।
सरकार के मंत्री संतोष लाड ने बताया कि वे इस प्लान पर गौर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस नियम का मकसद है महिलाओं की मदद करना। क्योंकि महिलाओं को अपनी पूरी जिंदगी में कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
महिलाओं को मिलेगी आजादी
इस नियम में एक खास बात यह है कि महिलाएं खुद तय कर सकेंगी कि उन्हें कब छुट्टी चाहिए। यानी अगर किसी महिला को किसी खास दिन ज्यादा तकलीफ हो रही है, तो वह उस दिन छुट्टी ले सकती है। इससे महिलाओं को अपने काम और सेहत के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।
दूसरे राज्यों में क्या है स्थिति?
अगर कर्नाटक में यह नियम लागू हो जाता है तो वह ऐसा करने वाला चौथा राज्य बन जाएगा। इससे पहले बिहार, केरल और ओडिशा में भी इस तरह के नियम हैं।
- बिहार में 1992 से ही महिलाओं को हर महीने दो दिन की पीरियड छुट्टी (Period Leave) मिलती है।
- केरल ने 2023 में अपने सभी राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए यह छुट्टी शुरू की।
- ओडिशा ने पिछले महीने ही महिलाओं को एक दिन की पीरियड छुट्टी देने का ऐलान किया।
इस नियम पर बहस
हालांकि, हर कोई इस नियम के पक्ष में नहीं है। कुछ लोगों का कहना है कि पीरियड्स एक सामान्य प्रक्रिया है और इसके लिए अलग से छुट्टी की जरूरत नहीं है। पिछले साल दिसंबर में, केंद्र सरकार की पूर्व मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में कहा था कि मासिक धर्म को किसी बीमारी की तरह नहीं देखा जाना चाहिए जिसके लिए खास छुट्टी की जरूरत हो।
लेकिन कई लोगों का मानना है कि यह नियम महिलाओं के स्वास्थ्य और काम करने के माहौल को बेहतर बनाएगा। इससे महिलाओं को अपने शरीर की देखभाल करने का मौका मिलेगा और वे ज्यादा खुश रहकर बेहतर काम कर पाएंगी।
आगे क्या होगा?
अभी यह नियम सिर्फ एक प्रस्ताव है। सरकार इस पर और चर्चा करेगी और फिर फैसला लेगी कि इसे लागू किया जाए या नहीं। अगर यह नियम लागू हो जाता है तो यह महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत होगी। इससे न सिर्फ उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाएगा, बल्कि यह भी दिखेगा कि समाज महिलाओं की जरूरतों को समझता है और उनका सम्मान करता है।
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