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समाज के डर ने एक पिता को बनाया कातिल? सोचने पर मजबूर कर देगी राधिका यादव के मर्डर केस की सच्चाई

राधिका यादव
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गुरुग्राम की सड़कों से लेकर हर दिल तक, एक खबर ने सबको झकझोर कर रख दिया है। 25 साल की उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की उनके ही घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। और हत्यारा कोई और नहीं, बल्कि उनका अपना पिता दीपक यादव था। इस दिल दहला देने वाले मामले में पुलिस की पूछताछ ने कई चौंकाने वाले राज़ खोले हैं, जो हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं।

पिता की बेचैनी और बेटी का हौसला
पुलिस रिमांड के दौरान दीपक यादव ने जो खुलासे किए, वो किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकते हैं। दीपक ने बताया कि वह पिछले 15 दिनों से रातों की नींद भूल चुका था। वह घर में बेचैन घूमता रहता, किसी से बात तक नहीं करता। उनकी बेटी राधिका, जो न सिर्फ एक टेनिस खिलाड़ी थीं, बल्कि एक संवेदनशील बेटी भी थीं, अपने पिता की इस हालत को देखकर दुखी थीं। वह पिता की काउंसलिंग करती थीं, उन्हें भरोसा दिलाती थीं कि वह अपने परिवार का नाम रोशन करेंगी। लेकिन दीपक का मन मानने को तैयार नहीं था।

सोशल मीडिया से दूरी और समाज का ताना
दीपक ने पुलिस को बताया कि कुछ समय पहले उनके दबाव के चलते राधिका ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स तक डिलीट कर दिए थे। लेकिन इतना ही काफी नहीं था। दीपक बार-बार राधिका से उनकी टेनिस अकादमी बंद करने की जिद करते थे। वजह? समाज के ताने। दीपक ने कबूल किया कि लोग उन्हें ताना मारते थे कि वह अपनी बेटी की कमाई पर ऐश कर रहा है। ये ताने दीपक के दिल में इस कदर चुभे कि वह राधिका पर दबाव डालते रहे।

ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि, क्या समाज के डर ने एक पिता को बना दिया कातिल?
आखिर क्यों इतने मजबूर हो गए राधिका के पिता, कि बेटी को उतार दिया मौत के घाट?

समाज के डर ने बनाया बेटी का कातिल?
अगर राधिका के पिता के कबूलनामे के अनुसार उनकी बात सच है कि, उसने समाज के तानों से बौखला कर बेटी की जान ले ली, तो ये सवाल बहुत गहरा है और हर उस इंसान के लिए है, जो दूसरों पर उंगली उठाने के आदि होते हैं। हम इंसानों की फितरह होती है कि हमें अपनी गलती का एहसास नहीं होता, लेकिन दूसरों के गिरेबान में झांकना और उनकी गलती को सरेआम करना हमें बखूबी आता है, और उसे हम बड़ी शिद्दत से अंजाम देते हैं, बिना ये सोचे कि उसका किसी के ऊपर क्या असर पड़ेगा।

ऐसे में ये कहना शायद गलत नहीं कि दिल्ली के राधिका यादव मर्डर केस मामले में राधिका के पिता से ज्यादा बड़ा रोल उसके समाज का है। पिता ने तो बेटी को गोली मारी, लेकिन कहीं ना कहीं उस पूरे समाज ने उसे इस वारदात को अंजाम देने के लिए मजबूर किया। लेकिन समाज से सवाल कौन करे?

वैसे यहां एक और सोचने वाली बात है कि राधिका के पिता, जो खुद लाखों कमाते हैं, उन्हें बेटी की कमाई का लालच तो नहीं हो सकता, तो फिर समाज के तानों डर क्यों? कहीं इस खूनी खेल के पीछे की वजह कुछ और तो नहीं? खैर पुलिस मामले की जांच में जुटी है। आगे-आगे देखते हैं, कि और क्या-क्या खुलासे होते हैं! वैसे इस मर्डर केस पर आपका क्या सोचना है, कमेंट कर अपनी राय जरूर दें।

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