मुंबई के विधानभवन में बीते दिन हुई मारपीट की घटना ने पूरे महाराष्ट्र में हलचल मचा दी है। इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में तूफान खड़ा किया, बल्कि लोकतंत्र और सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। आइए, इस पूरे मामले को करीब से समझते हैं।
क्या हुआ था विधानभवन में?
गुरुवार को विधानभवन के अंदर दो विधायकों, जितेंद्र आव्हाड और गोपीचंद पडलकर के समर्थकों के बीच तीखी बहस ने हिंसक रूप ले लिया। एक दिन पहले दोनों विधायकों के बीच हुई नोकझोंक ने माहौल को और गर्म कर दिया था। इस दौरान आव्हाड के समर्थक नितिन देशमुख और पडलकर के समर्थक ऋषिकेश टाकले के बीच हाथापाई हो गई। मुंबई पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया।
पुलिस ने मरीन ड्राइव थाने में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और दोनों का मेडिकल टेस्ट करवाया। पुलिस के अनुसार, दोनों आरोपियों का आपराधिक रिकॉर्ड भी रहा है, जिससे मामला और गंभीर हो गया है।
मुख्यमंत्री का सख्त रुख
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना को “अत्यंत गंभीर” बताते हुए विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति से तत्काल कार्रवाई की मांग की। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दूसरी ओर, विधायक गोपीचंद पडलकर ने मारपीट पर खेद जताया, लेकिन मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा।
“लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला”
इस घटना में एक और मोड़ तब आया, जब बीजेपी नेता और कैबिनेट मंत्री नितेश राणे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया। वीडियो में एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड एक पत्रकार को वीडियो बनाने से रोकते हुए उसके हाथ पर जोर से मारते नजर आ रहे हैं। राणे ने इसे “लोकतंत्र के चौथे स्तंभ” यानी पत्रकारिता पर हमला करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानभवन जैसे पवित्र स्थान पर पत्रकार के साथ मारपीट कर आव्हाड ने संवैधानिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाईं।
लोकशाहीच्या चौथ्या स्तंभावर राष्ट्रवादी पवार गटाचे आमदार जितेंद्र आव्हाड यांनी हल्ला केला.
विधानभवनासारख्या पवित्र स्थळी आमदार जितेंद्र आव्हाड यांनी थेट पत्रकाराला मारहाण केली. त्याला वार्तांकन करण्यापासून रोखलं. हा केवळ पत्रकारिता नाही, तर लोकशाहीचा आवाज गप्प करण्याचा प्रयत्न… pic.twitter.com/9rtBpUJy9m— Nitesh Rane (@NiteshNRane) July 18, 2025
“महाराष्ट्र की संस्कृति को नुकसान”
शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “महाराष्ट्र की संस्कृति खराब हो चुकी है।” राउत ने विधानभवन को गुंडागर्दी का अड्डा बताते हुए सवाल उठाया कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में बाहरी लोग और गुंडे विधानभवन में कैसे घुस रहे हैं? उन्होंने मांग की कि इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
राउत ने गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा और कहा कि अगर फडणवीस विपक्ष में होते, तो वे राष्ट्रपति शासन की मांग करते। उन्होंने ये भी दावा किया कि जितेंद्र आव्हाड को मारने की साजिश रची गई थी।
इस घटना ने विधानभवन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। संजय राउत ने पूछा, “आखिर गुंडों को विधानभवन में पास कौन दे रहा है? दलालों का क्या काम है वहां?” उन्होंने गृह मंत्रालय और पुलिस से जवाब मांगा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
मुंबई पुलिस ने जांच तेज कर दी है और दोनों आरोपियों के बयान दर्ज किए गए हैं। इस बीच, सियासी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। विधानभवन जैसे संवैधानिक स्थान पर हुई इस घटना ने न केवल महाराष्ट्र की राजनीति को गरमा दिया है, बल्कि आम जनता में भी आक्रोश पैदा किया है।
क्या ये घटना महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए विवाद को जन्म देगी? या फिर ये सिर्फ एक और सियासी ड्रामा बनकर रह जाएगा?
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