ऑनटीवी स्पेशल

दुश्मनों के लिए खौफ का नाम, मिलिए भारत के असली ‘जेम्स बॉन्ड’ से: अजीत डोभाल

दुश्मनों के लिए खौफ का नाम, मिलिए भारत के असली 'जेम्स बॉन्ड' से: अजीत डोभाल

दोस्तों, आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स की, जिनका नाम सुनते ही देश के दुश्मनों के कान खड़े हो जाते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की! जिन्हें लोग प्यार से ‘भारत का जेम्स बॉन्ड’ कहते हैं। चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या है इनकी कहानी में जो इन्हें इतना खास बनाता है।

शुरुआत करते हैं वहीं से, जहां से डोभाल जी का सफर शुरू हुआ। 1945 में उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में जन्मे डोभाल जी के पिता थे फौज में मेजर। शायद वहीं से उनके दिल में देश के लिए कुछ करने का जज्बा जगा होगा। स्कूल की पढ़ाई अजमेर के मिलिट्री स्कूल से की और फिर 1968 में IPS बन गए। बस फिर क्या था, शुरू हो गया उनका रोमांच भरा सफर!

अब ये डोभाल जी हैं तो कुछ अलग ही करेंगे ना! सोचा होगा कि चलो पाकिस्तान ही चलते हैं, वहीं से दुश्मन की पोल खोलते हैं। और सच में चले गए! वहां रिक्शा चलाई, मजदूरी की, और हां ये मत भूलिएगा कि ये सब वो जासूसी के लिए कर रहे थे। पाकिस्तान में रहकर उन्होंने दाऊद इब्राहिम जैसे खतरनाक अपराधी की हर हरकत पर नजर रखी।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार पाकिस्तान में उनकी पहचान लगभग पकड़ी जाने वाली थी? जी हां, एक दिन मस्जिद से निकलते वक्त किसी ने उनसे पूछ लिया – “तुम हिंदू हो ना?” अब डोभाल जी भी कम थोड़े ही थे, बोले – “नहीं तो!” लेकिन वो आदमी नहीं माना। उसने डोभाल जी के कान में छेद देखा और कहा – “ये तो हिंदुओं वाली बात है, इसे बंद करवा लो वरना पकड़े जाओगे!” बाद में डोभाल जी ने अपने कान की प्लास्टिक सर्जरी करवाई। सोचिए, कितनी बारीकी से काम करना पड़ता होगा!

अब बात करते हैं उनके कुछ बड़े मिशन की। याद है ना 1988 का ऑपरेशन ब्लैक थंडर? जब स्वर्ण मंदिर में आतंकी छिपे थे। तब डोभाल जी तीन महीने तक वहीं रहे, आतंकियों के बीच, एक पाकिस्तानी मददगार बनकर! उनकी वजह से ही ये ऑपरेशन कामयाब हुआ और उन्हें मिला कीर्ति चक्र। फिर 1999 में जब कांधार में प्लेन हाईजैक हुआ, तब भी डोभाल जी मौके पर पहुंचे और सभी यात्रियों को बचाया।

लेकिन डोभाल जी की असली पहचान तो 2014 में बनी, जब वो प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने। तब से लेकर अब तक, हर बड़े फैसले में उनकी अहम भूमिका रही है। चाहे वो उरी की सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर पुलवामा के बाद बालाकोट पर हमला, हर जगह डोभाल जी का दिमाग चला है।

डोभाल जी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि वो हमेशा पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं। शायद इसीलिए उन्हें ‘भारत का जेम्स बॉन्ड’ कहा जाता है! वो चाहते हैं कि भारत दुनिया में एक मजबूत देश के रूप में उभरे। इसी सोच के साथ वो लगातार काम कर रहे हैं।

अब जब डोभाल जी को एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया है, तो ये साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी को उन पर पूरा भरोसा है। और क्यों न हो? आखिर ऐसा ‘जेम्स बॉन्ड’ किसी को मिले तो कौन छोड़ेगा!

दोस्तों, अजीत डोभाल की कहानी हमें सिखाती है कि देश के लिए कुछ भी करने को तैयार रहना चाहिए। वो कभी रिक्शा चलाते हैं तो कभी दुश्मनों के बीच रहकर जानकारी जुटाते हैं। बस एक ही मकसद – भारत की सुरक्षा! ऐसे लोगों की वजह से ही हम चैन की नींद सो पाते हैं।

क्या आपको भी लगता है कि हमारे देश को ऐसे और भी ‘जेम्स बॉन्ड’ की जरूरत है? अपने विचार जरूर बताइए कमेंट्स में!

ये भी पढ़ें: राज ठाकरे का बड़ा ऐलान: MNS कार्यकर्ताओं को 250 सीटों पर चुनाव लड़ने का आदेश!

You may also like