मुंबई: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज मुंबई के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर NAFED द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया। अपने संबोधन में शाह ने सहकारिता को भारत के जीवन दर्शन का मूल तत्व बताया। उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया के लिए सहकारिता एक आर्थिक व्यवस्था हो सकती है, लेकिन भारत के लिए ये एक पारंपरिक जीवन दर्शन है। साथ मिलकर सोचना, काम करना, सुख-दुख में एक-दूसरे का सहारा बनना, यही भारत की आत्मा है।”
सहकारिता: गरीबों, किसानों और महिलाओं का सहारा
शाह ने जोर देकर कहा कि पिछले सवा सौ सालों से सहकारिता आंदोलन ने इस देश के गरीबों, किसानों और महिलाओं के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया है। उन्होंने कहा, “सहकारिता आंदोलन ने समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” इस मौके पर उन्होंने एक नई पहल ‘राष्ट्रीय टैक्सी’ की घोषणा की। इस मॉडल के तहत टैक्सी चालक न केवल सेवा प्रदाता होंगे, बल्कि वे भारत सहकारी टैक्सी के मालिक भी होंगे। इससे होने वाला लाभ सीधे उनके बैंक खातों में जाएगा।
सहकारिता मंत्रालय के नए कदम
गृहमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय के गठन को एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा, “कई वर्षों से सहकारिता मंत्रालय की मांग उठ रही थी, लेकिन इसे कभी पूरा नहीं किया गया। लोग कहते थे कि सहकारिता राज्य का विषय है, केंद्र इसमें क्या करेगा? लेकिन मोदी जी ने इसे संभव बनाया।” शाह ने बताया कि मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जिनमें राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता का डेटा इकट्ठा करना शामिल है। अब मंत्रालय के पास गांव स्तर तक का डेटा उपलब्ध है।
उन्होंने आगे कहा कि देशभर में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) स्थापित की जाएंगी। ये समितियां बहुउद्देशीय कार्य करेंगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगी। कर्नाटक और गोवा जैसे राज्यों में सहकारिता आंदोलन पहले ही फल-फूल रहा है।
त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना
शाह ने एक और बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि सहकारिता मंत्रालय त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना करेगा। इसके लिए भारत सरकार ने बिल भी पारित कर दिया है। अगस्त में इसकी आधारशिला रखी जाएगी। उन्होंने कहा, “हमने तकनीकी सुधारों के लिए भी कई कदम उठाए हैं। आयकर कानून में कॉर्पोरेट और सहकारी समितियों को समान स्तर पर लाया गया है, जो एक लंबे समय से चली आ रही मांग थी।”
गन्ना मिलों के लिए कर राहत
महाराष्ट्र में गन्ना मिलों से जुड़े कर विवाद पर बोलते हुए शाह ने कहा कि लगभग 15 हजार करोड़ रुपये के इस विवाद को सुलझाने के लिए कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, उत्पादन में शामिल लोगों के लिए टैक्स दरों में कटौती की गई है।
सहकारिता: भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति का आधार
अमित शाह ने अपने संबोधन में सहकारिता को भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति का आधार बताया। उन्होंने कहा कि यह मॉडल न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक समरसता को भी मजबूत करता है। उनके इस दौरे और घोषणाओं से सहकारिता आंदोलन को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
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