मुंबई में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने शहर को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। भारी बारिश के कारण बिजली आपूर्ति में व्यवधान और बाढ़ जैसे हालात ने जनजीवन को ठप कर दिया। मंगलवार शाम को भारी बारिश के बीच एक बड़ा हादसा हुआ, जब मुंबई के एलिवेटेड ट्रैक पर दो भीड़भाड़ वाली मोनोरेल ट्रेनें फंस गईं। इस घटना में करीब 782 यात्रियों को साहसिक बचाव अभियान के जरिए सुरक्षित निकाला गया। आइए, इस घटना और इसके प्रभावों पर विस्तार से नजर डालते हैं।
मोनोरेल ट्रेन हादसा: क्या हुआ?
मंगलवार शाम करीब 6 बजे के बाद, मुंबई में पिक आवर के दौरान दो मोनोरेल ट्रेनें मैसूर कॉलोनी और वडाला ब्रिज के पास अचानक रुक गईं। भारी बारिश और बिजली आपूर्ति में व्यवधान के कारण ये ट्रेनें स्टेशनों के बीच फंस गईं। एक ट्रेन मैसूर कॉलोनी के पास रुकने के बाद एक तरफ झुकी हुई दिखाई दी, जिससे यात्रियों में दहशत फैल गई। दूसरी ट्रेन वडाला ब्रिज के पास फंस गई थी। दोनों ट्रेनों में करीब 782 यात्री सवार थे, जिनमें महिलाएं, वरिष्ठ नागरिक और युवा शामिल थे।
ट्रेनों के रुकने और एयर कंडीशनिंग (एसी) बंद होने से यात्रियों को दम घुटने की शिकायत होने लगी। कुछ यात्री घबराहट में बेहोश हो गए, जबकि कुछ नीचे कूदने को तैयार थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, मुंबई अग्निशमन विभाग ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और एक साहसिक बचाव अभियान चलाया।
साहसिक बचाव अभियान
मुंबई अग्निशमन विभाग के चीफ रवींद्र अंबुलगेकर के नेतृत्व में बचाव दल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचा। समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए बयान में अंबुलगेकर ने बताया कि बचाव अभियान को सावधानीपूर्वक और समन्वित तरीके से अंजाम दिया गया। मैसूर कॉलोनी के पास फंसी ट्रेन से 582 यात्रियों को स्नोर्कल लैडर की मदद से सुरक्षित निकाला गया, जबकि वडाला ब्रिज के पास फंसी दूसरी ट्रेन को टो करके पास के वडाला स्टेशन तक लाया गया, जहां से 200 अन्य यात्रियों को सुरक्षित उतारा गया।
बचाव दल ने मोनोरेल की खिड़कियां तोड़कर और दरवाजे खोलकर यात्रियों को बाहर निकाला। प्राथमिकता के आधार पर पहले महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को निकाला गया, फिर युवाओं को। यात्रियों की घबराहट को देखते हुए, अग्निशमन विभाग ने पटरियों के नीचे जंपिंग शीट भी बिछाई थी, ताकि कूदने की स्थिति में किसी को चोट न लगे। सौभाग्यवश, ऐसी स्थिति नहीं आई और सभी यात्री सुरक्षित बचाए गए।
यात्रियों की हालत और चिकित्सा सहायता
ट्रेनों में एसी बंद होने के कारण कई यात्रियों ने दम घुटने की शिकायत की। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अनुसार, मैसूर कॉलोनी मोनोरेल से बचाए गए 582 यात्रियों में से 23 को दम घुटने के लक्षण दिखाई दिए। 108 एम्बुलेंस में मौजूद डॉक्टरों ने तुरंत उनका इलाज किया और बाद में उन्हें छुट्टी दे दी गई। केवल एक यात्री को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जिसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। मौके पर मौजूद चिकित्सा टीमें और एम्बुलेंस ने त्वरित कार्रवाई कर स्थिति को नियंत्रित किया।
बारिश का प्रभाव: रेल और सड़क यातायात ठप
पिछले दो दिनों से मुंबई में हो रही मूसलाधार बारिश ने शहर की हार्बर लाइन पर उपनगरीय रेल सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित किया है। रेल सेवाओं में व्यवधान के कारण कई यात्रियों ने वैकल्पिक परिवहन के रूप में मोनोरेल का सहारा लिया। हालांकि, भारी बारिश और बिजली आपूर्ति में रुकावट ने मोनोरेल सेवाओं को भी प्रभावित किया। सड़कों पर जलजमाव और भारी ट्रैफिक जाम ने शहरवासियों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
प्रशासन की तत्परता
मुंबई अग्निशमन विभाग को मोनोरेल यात्रियों को बचाने का पूर्व अनुभव होने के कारण इस बार बचाव अभियान को तेजी और कुशलता से अंजाम दिया गया। दमकल गाड़ियां, हवाई सीढ़ियां, और आपातकालीन उपकरणों के साथ टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं। बीएमसी और अन्य एजेंसियों ने भी राहत कार्यों में सहयोग किया। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बारिश के दौरान सावधानी बरतें और जलजमाव वाले क्षेत्रों से बचें।
मुंबई में भारी बारिश ने एक बार फिर शहर की आधारभूत संरचना और आपातकालीन तैयारियों की परीक्षा ली है। मोनोरेल ट्रेन हादसे में सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया, जो प्रशासन और अग्निशमन विभाग की तत्परता को दर्शाता है। हालांकि, लगातार बारिश और बाढ़ जैसे हालात ने शहरवासियों के लिए कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन को ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक उपाय करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र में भारी बारिश और बाढ़ का कहर: जनजीवन अस्त-व्यस्त, 21 की मौत