मौत का खौफ?: गुजरात के सरदार पटेल जूलॉजिकल पार्क में हुई एक अनोखी घटना ने सभी को हैरान कर दिया है। एक तेंदुए ने एक काले हिरण का शिकार किया, और ये दृश्य देखकर 7 अन्य काले हिरण सदमे से मर गए (Die from shock) । ये घटना शायद पहली बार हुई हो, लेकिन काले हिरण का सदमे से मरना (Blackbucks die from shock) दुर्लभ होते हुए भी पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं है। सवाल उठता है कि क्या जानवर वास्तव में सदमे और डर के कारण मरते हैं? क्या वे मौत को समझते हैं? विज्ञान इन सवालों के दिलचस्प उत्तर देता है।
क्या जानवर मरने का डर महसूस करते हैं?
जानवरों के बीच आत्म-संरक्षण की गहरी प्रवृत्ति होती है। वे खतरे को भांपने और उससे बचने की हर संभव कोशिश करते हैं। हिरण जैसे जानवर, जो शिकारियों के लिए आसान लक्ष्य होते हैं, बेहद चौकन्ने रहते हैं। तनाव या डर के दौरान इनका दिल बहुत तेजी से धड़कता है, जिससे उनकी मृत्यु का कारण दिल का दौरा भी हो सकता है। कई अध्ययन ये साबित करते हैं कि जानवर मौत का खौफ समझते हैं, खासकर वे जो समूह में रहते हैं। हाथी और डॉल्फिन जैसे सामाजिक जानवर अपने साथी की मृत्यु पर मातम मनाने जैसा व्यवहार करते हैं।
सदमे से मरने के पीछे वैज्ञानिक कारण
जब जानवरों को तीव्र खतरे का सामना करना पड़ता है, तो उनका शरीर ‘फाइट या फ्लाइट’ प्रतिक्रिया देता है। इस दौरान एड्रेनालाईन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यदि खतरा बहुत अधिक हो और जानवर इस तनाव को सहन नहीं कर पाता, तो उसका शरीर इस प्रतिक्रिया से उबर नहीं पाता और उसकी मृत्यु हो सकती है। काले हिरण जैसे संवेदनशील जानवर तनाव के कारण अपने हृदय की विफलता से मर सकते हैं।
क्या पालतू जानवरों में भी ये होता है?
पालतू जानवरों के साथ भी सदमे से मरने की घटनाएं होती हैं। कुत्ते और बिल्लियां, जिन्हें अपने मालिकों से गहरा लगाव होता है, मालिक की मृत्यु के बाद अवसाद में चले जाते हैं और कभी-कभी सदमे से उनकी भी जान चली जाती है। जानवरों के मनोविज्ञान पर किए गए शोध बताते हैं कि भावनात्मक लगाव और तनाव के कारण उनमें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
शिकार का दृश्य और तनाव का प्रभाव
काले हिरण और अन्य हिरण प्रजातियां इंसानों को भी शिकारी के रूप में देखती हैं। जब वे अपने साथी को किसी शिकारी के हाथों मरते देखते हैं, तो उनका डर और तनाव चरम पर पहुंच जाता है। सरदार पटेल पार्क में यही हुआ, जब एक तेंदुए ने एक काले हिरण का शिकार किया। इस दृश्य ने बाकी हिरणों को इतना भयभीत कर दिया कि वे सदमे को सहन नहीं कर पाए।
क्या विज्ञान के पास सबूत हैं?
विभिन्न चिड़ियाघरों और पार्कों में जानवरों के सदमे से मरने की घटनाएं पहले भी दर्ज की गई हैं। दिल्ली के चिड़ियाघर में 2017 से 2020 के बीच 144 जानवरों की मृत्यु का कारण सदमा बताया गया था। हालांकि, विशेषज्ञ इस बात पर बहस करते हैं कि क्या ये प्रबंधन की त्रुटियों को छिपाने का बहाना था या वास्तविकता।
सदमे से मरना, चाहे इंसानों में हो या जानवरों में, एक जटिल प्रक्रिया है। विज्ञान और मनोविज्ञान का ये सम्मिलित अध्ययन हमें ये समझने में मदद करता है कि जीवन के प्रति संवेदनशीलता न केवल हमारी विशेषता है, बल्कि ये जीवित रहने की हमारी सबसे बुनियादी प्रवृत्ति का भी हिस्सा है।