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प्रेमानंद महाराज से इंस्पायर होकर संत बनने घर से निकल गया 13 साल का बच्चा, जानें फिर क्या हुआ

प्रेमानंद महाराज
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है। एक 13 साल का स्कूली छात्र, जो संत प्रेमानंद महाराज का भक्त है, अपनी आध्यात्मिक खोज में घर से स्कूल के लिए निकला और सीधे बनारस पहुंच गया। आइए जानते हैं इस अनोखी कहानी के बारे में, जो दिल को छू लेने वाली है।

स्कूल के लिए निकला, बनारस पहुंच गया
गोरखपुर के बड़हलगंज थाना क्षेत्र के बीमूटी गांव में रहने वाला नमन दुबे, जो मात्र 13 साल का है और कक्षा सातवीं में पढ़ता है, ने कुछ ऐसा किया कि हर कोई हैरान रह गया। 1 अगस्त को नमन सुबह अपने घर से स्कूल के लिए निकला, लेकिन छुट्टी होने के बाद भी वो घर नहीं लौटा। परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन पूरे दिन कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार, 2 अगस्त को परिवार ने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस की तत्परता ने दिखाया कमाल
गोरखपुर पुलिस ने बिना वक्त गंवाए कार्रवाई शुरू की। सीसीटीवी फुटेज की मदद से पता चला कि नमन दोहरीघाट स्टेशन की ओर गया और वहां से बनारस जाने वाली ट्रेन में सवार हो गया। पुलिस ने तुरंत जीआरपी बनारस और स्थानीय पुलिस को सूचना दी। रविवार को जीआरपी ने गंगा घाट पर नमन की लोकेशन ट्रेस की और उसे सकुशल बरामद कर लिया।

सोमवार सुबह नमन के पिता अमरनाथ दुबे पुलिस के साथ बनारस पहुंचे और अपने बेटे को लेकर गोरखपुर लौट आए। थाना प्रभारी चंद्रभान सिंह ने बताया कि नमन को औपचारिकताओं के बाद उसके पिता के सुपुर्द कर दिया गया है।

संत प्रेमानंद के प्रति दीवानगी
पुलिस पूछताछ में नमन ने जो बताया, उसे सुनकर सभी हैरान रह गए। उसने कहा कि वो संत प्रेमानंद को फॉलो करता है और उनके जैसा संत बनना चाहता है। नमन की मां और दादी ने बताया कि वो अक्सर संत प्रेमानंद के वीडियो देखता था और उनके बारे में बात करता था। कई बार उसने संत बनने की इच्छा जताई, लेकिन परिवार ने उसे समझाया कि अभी वो बहुत छोटा है और पहले पढ़ाई पर ध्यान दे। लेकिन किसी को नहीं पता था कि नमन इतना बड़ा कदम उठा लेगा।

एक कहानी, जो सोचने पर मजबूर करती है
नमन की ये कहानी न केवल हैरान करती है, बल्कि ये भी दिखाती है कि आज के बच्चे कितनी गहराई से किसी चीज को फॉलो कर सकते हैं। ये घटना हमें ये सोचने पर मजबूर करती है कि बच्चों की भावनाओं और सपनों को समझना कितना जरूरी है। साथ ही, गोरखपुर पुलिस और जीआरपी की त्वरित कार्रवाई की भी तारीफ करनी होगी, जिन्होंने नमन को सुरक्षित उसके परिवार तक पहुंचाया।

आपको क्या लगता है? क्या नमन की ये आध्यात्मिक खोज उसे एक नई दिशा देगी, या ये बस एक बच्चे की मासूमियत थी? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं!

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