महाराष्ट्र

Maharashtra Bill Targets Urban Naxalism: मुंबई से गढ़चिरौली तक हंगामा! विशेष सुरक्षा बिल 2025 में 7 साल की सजा, विपक्ष चिल्लाया—लोकतंत्र खतरे में, फडणवीस बोले—नक्सलवाद पर वार!

Maharashtra Bill Targets Urban Naxalism: मुंबई से गढ़चिरौली तक हंगामा! विशेष सुरक्षा बिल 2025 में 7 साल की सजा, विपक्ष चिल्लाया—लोकतंत्र खतरे में, फडणवीस बोले—नक्सलवाद पर वार!

Maharashtra Bill Targets Urban Naxalism: महाराष्ट्र में हाल ही में पारित विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक को लेकर सियासी हंगामा मचा हुआ है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया है कि यह कानून सरकार की आलोचना करने वालों के लिए नहीं, बल्कि शहरी नक्सलवाद और वामपंथी उग्रवादी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई शहरी नक्सली की तरह काम करेगा, तो उसे इस कानून के तहत गिरफ्तार किया जाएगा।

यह बिल 10 जुलाई 2025 को विधानसभा में और 11 जुलाई को विधान परिषद में बहुमत से पास हुआ। इस कानून में सख्त नियम हैं, जिसमें दोषी पाए जाने पर सात साल तक की जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है। फडणवीस ने बताया कि महाराष्ट्र में 64 ऐसे संगठन हैं, जो उग्रवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। इनमें से कुछ संगठन मुंबई, पुणे, नासिक, नागपुर, कोकण, गढ़चिरौली, अमरावती और बीड जैसे इलाकों में सक्रिय हैं।

शनिवार को नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि यह कानून शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों या सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे की चुनौती का जवाब देते हुए कहा कि अगर कोई नक्सलियों की तरह काम करेगा, तो उसे गिरफ्तार करने में कोई हिचक नहीं होगी। राज ठाकरे ने कहा था कि सरकार उनके कार्यकर्ताओं को इस कानून के तहत गिरफ्तार करके दिखाए।

फडणवीस ने यह भी साफ किया कि इस कानून का मकसद उन संगठनों पर नकेल कसना है, जो भारत के संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ काम करते हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून सीपीआई या सीपीआई (एम) जैसे वामपंथी दलों के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन संगठनों के लिए है, जो युवाओं और बुद्धिजीवियों को भड़काकर देश के खिलाफ गतिविधियां चलाते हैं।

विपक्षी दलों ने इस बिल को लेकर कई सवाल उठाए हैं। कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) ने कहा है कि इस कानून का गलत इस्तेमाल हो सकता है और यह लोगों की आजादी को छीन सकता है। सीपीआई (एम) के विधायक विनोद निकोले ने इस बिल का खुलकर विरोध किया और इसे संविधान के खिलाफ बताया। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने भी कहा कि यह बिल असहमति को दबाने का हथियार है।

इस बिल में एक सलाहकार बोर्ड का प्रावधान है, जिसमें हाई कोर्ट का जज, रिटायर्ड जज और सरकारी वकील शामिल होंगे। कोई संगठन गैरकानूनी घोषित होने से पहले इस बोर्ड की मंजूरी जरूरी होगी। साथ ही, इस कानून के तहत जांच डीएसपी रैंक से नीचे का अधिकारी नहीं कर सकता। फडणवीस ने कहा कि 12,500 से ज्यादा सुझावों को ध्यान में रखकर इस बिल को तैयार किया गया है।

यह कानून महाराष्ट्र को छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के बाद पांचवां ऐसा राज्य बनाता है, जहां इस तरह का सख्त कानून लागू है। फडणवीस ने कहा कि गढ़चिरौली जैसे इलाकों में माओवादी गतिविधियां अब सिर्फ दो तहसीलों तक सिमट गई हैं, लेकिन शहरी इलाकों में नक्सलवाद का खतरा बढ़ रहा है।

राज ठाकरे ने इस बिल को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह मराठी अस्मिता के खिलाफ है। जवाब में फडणवीस ने कहा कि राज ठाकरे ने शायद बिल को पढ़ा नहीं है। उन्होंने मराठी और हिंदी विवाद पर भी जवाब देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में मराठी अनिवार्य है, लेकिन एक भारतीय भाषा सीखना भी जरूरी है।

इस बिल ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया है। विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बता रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि यह देश और राज्य की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

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