मुंबई में 10वीं-12वीं की परीक्षाओं के मद्देनजर, मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बीएमसी को शिक्षकों को चुनाव कार्य से दूर रखने का निर्देश दिया है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर लगाने का सुझाव।
शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर लगाने से पहले भी परीक्षाओं के आयोजन में बाधा आती रही है। कई शिक्षक संघों और नेताओं द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया था कि चुनाव कार्य शिक्षकों के प्राथमिक दायित्व में व्यवधान पैदा करता है।
मुंबई के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। इस निर्देश में सीईओ ने कमिश्नर को शहर और उपनगरीय इलाकों में शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने को कहा है। खासतौर पर इस बात पर जोर दिया गया है कि जो शिक्षक 10वीं और 12वीं कक्षाओं की परीक्षाएं आयोजित करने में शामिल हैं, उन्हें बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) समेत किसी भी चुनावी कार्य में न लगाया जाए।
सीईओ श्रीकांत देशपांडे ने बीएमसी कमिश्नर को एक पत्र लिखकर शिक्षकों के बजाय अन्य विकल्पों पर विचार करने की अपील की है। उन्होंने चुनाव ड्यूटी के लिए सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को लगाने पर जोर दिया है। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जो भी शिक्षक चुनाव ड्यूटी पर हों, उसी दिन उन पर शैक्षणिक जिम्मेदारियां न डाली जाएं।
शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर लगाए जाने के मुद्दे को कई शिक्षक संघों और जनप्रतिनिधियों ने उठाया था। विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के सदस्य (MLC) ने भी चुनाव कार्य से शिक्षकों को मुक्त रखने की वकालत की थी ताकि परीक्षाओं का सुचारू संचालन हो सके। इसी के परिणामस्वरूप, सीईओ ने यह निर्देश जारी किया है।
इस बीच, विधायक सत्यजीत तांबे ने भी मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए पूरे राज्य में इस फैसले को लागू करने की मांग की है। उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि पूरे महाराष्ट्र में शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से दूर रखने का निर्देश लागू किया जाए।
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मुंबई के सीईओ का यह फैसला परीक्षाओं के समय शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ को कम करेगा और छात्रों के हित में है। उम्मीद है कि राज्य निर्वाचन आयोग भी पूरे राज्य में इसी तरह के निर्देश जारी करेगा।