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Mumbai Pigeon Feeding Ban Sparks Jain Protest: मुंबई में कबूतरों को दाना डालने पर पाबंदी! दादर कबूतरखाना तिरपाल से ढका, जैन समुदाय का गुस्सा फूटा

Mumbai Pigeon Feeding Ban Sparks Jain Protest: मुंबई में कबूतरों को दाना डालने पर पाबंदी! दादर कबूतरखाना तिरपाल से ढका, जैन समुदाय का गुस्सा फूटा

Mumbai Pigeon Feeding Ban Sparks Jain Protest: मुंबई में कबूतरों को दाना डालने पर रोक का मामला अब तूल पकड़ रहा है। दादर का मशहूर कबूतरखाना, जो शहर का सबसे बड़ा कबूतर खाना माना जाता है, उसे बीएमसी ने तिरपाल और बांस से ढक दिया। इस कार्रवाई के बाद जैन समुदाय और जानवरों के हितैषी गुस्से में हैं। उनका कहना है कि इस बंदी की वजह से हजारों कबूतर भूख और प्यास से मर रहे हैं। वहीं, बीएमसी और कुछ लोग इसे झूठी अफवाह बता रहे हैं।

जुलाई की शुरुआत में बीएमसी ने दादर कबूतरखाना बंद कर दिया था, लेकिन लोग चेतावनी और जुर्माने के बावजूद वहां कबूतरों को दाना डालते रहे। इसके बाद 30 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर बीएमसी ने सख्ती बढ़ाई और कबूतरखाने को पूरी तरह ढक दिया। बड़े-बड़े बोर्ड लगाए गए, जिन पर कबूतरों को दाना डालने की मनाही लिखी थी। इतना ही नहीं, माहिम पुलिस स्टेशन में एक शख्स के खिलाफ कबूतरों को दाना डालने की वजह से पहली एफआईआर भी दर्ज की गई।

बीएमसी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि वे सिर्फ हाई कोर्ट और राज्य सरकार के आदेशों का पालन कर रहे हैं। जयदीप मोरे, असिस्टेंट म्युनिसिपल कमिश्नर, ने बताया कि सभी 51 कबूतरखानों पर बीएमसी कर्मचारी और पुलिस तैनात हैं ताकि कोई दाना न डाले। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक है और स्थानीय पुलिस स्टेशनों को भी इसकी जानकारी दी गई है।

राज्य सरकार ने पिछले महीने बीएमसी को शहर के सभी 51 कबूतरखानों को बंद करने का आदेश दिया था। वजह थी कबूतरों की बीट और पंखों से होने वाली सांस की बीमारियां, जो लोगों के लिए खतरा बन रही हैं। इस आदेश के खिलाफ कुछ लोग कोर्ट पहुंचे, लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि कबूतरों को दाना डालना सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम है। कोर्ट ने बीएमसी को आदेश दिया कि जो लोग इस नियम को तोड़ रहे हैं, उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए।

इस कार्रवाई ने मुंबई में बहस को और हवा दे दी। रविवार को जैन समुदाय के कई लोगों ने कोलाबा के एक जैन मंदिर से गेटवे ऑफ इंडिया तक विरोध मार्च निकाला। उनका कहना था कि कबूतरों को दाना डालना उनकी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है और इससे किसी का नुकसान नहीं होता। गेटवे ऑफ इंडिया पर भी एक कबूतरखाना है, जहां लोग पक्षियों को खाना खिलाते हैं।

ऑल इंडिया एनिमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य कमलेश शाह ने कहा कि कबूतरखानों से स्वास्थ्य को खतरा होने का कोई ठोस सबूत नहीं है। फिर भी कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया, जो जैन समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। उन्होंने दावा किया कि इस बंदी की वजह से मुंबई में हजारों कबूतर भूख और प्यास से मर रहे हैं।

वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पर्यावरण विंग के प्रमुख जय श्रींगारपुरे ने इन दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि भूख या प्यास से कोई कबूतर नहीं मरा। कुछ पक्षी चोटिल हो सकते हैं, जो आम बात है। उन्होंने कहा कि लोग झूठी खबरें फैला रहे हैं।

इस विवाद ने मुंबई में दो पक्षों को आमने-सामने ला दिया है। एक तरफ वे लोग हैं जो कबूतरों को दाना डालने को अपनी परंपरा और दया का काम मानते हैं। दूसरी तरफ बीएमसी और कोर्ट का कहना है कि इससे लोगों की सेहत को खतरा है। दादर कबूतरखाना, जो 1933 में बना था और जैन मंदिर से जुड़ा हुआ है, अब तिरपाल से ढका है। बीएमसी ने वहां सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हैं ताकि कोई नियम न तोड़े।

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