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पानी की एक-एक बूंद को तरसेगी मुंबई: 10 अप्रैल से ठप होंगी टैंकर सेवाएं!

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मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी, एक बार फिर गंभीर जल संकट की चपेट में आ रही है। जलाशयों में पानी की कमी पहले से ही मुंबईवासियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, और अब हालात और बिगड़ने वाले हैं। मुंबई में 10 अप्रैल 2025 से वाटर टैंकर सेवाएं बंद होने जा रही हैं, जिससे शहर में पानी की आपूर्ति पर और बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इस ब्लॉग में हम आपको मुंबई के जल संकट की पूरी स्थिति, इसके कारण और प्रभाव के बारे में विस्तार से बताएंगे।

जल संकट का नया मोड़: वाटर टैंकर सेवाएं बंद
मुंबई वॉटर टैंकर एसोसिएशन ने 10 अप्रैल से अपनी सेवाएं बंद करने का ऐलान किया है। इसके पीछे केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority) के नए नियम हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने टैंकर सेवा प्रदाताओं को नोटिस जारी कर कहा है कि जिनके पास निजी बोरवेल या कुएं हैं, उन्हें केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) लेना जरूरी है। बिना एनओसी के पानी की आपूर्ति बंद की जा सकती है।

इस नियम के चलते कई बोरवेल मालिक, जिनके पास एनओसी नहीं है, अब टैंकर सेवाएं देने में असमर्थ हो गए हैं। मुंबई वॉटर टैंकर एसोसिएशन के प्रतिनिधि अंकुर वर्मा ने कहा, “हमारा व्यवसाय 70-80 साल पुराना है। BMC ने हमें नोटिस दी है कि बोरवेल हटाएं और पाइपलाइन डिसमेंटल करें। अगर टैंकर नहीं होंगे, तो पानी की सप्लाई कैसे होगी?” यs सवाल मुंबई के हर नागरिक के मन में उठ रहा है।

पहले से संकटग्रस्त इलाके
मुंबई के कई इलाकों जैसे कुलाबा, घाटकोपर, मुलुंड, वरली, बोरीवली, कांदिवली, मालाड, गोरेगांव, जोगेश्वरी, अंधेरी, कुर्ला और विद्याविहार में पहले ही पानी की भारी किल्लत है। इन क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति का बड़ा हिस्सा वाटर टैंकरों पर निर्भर है। टैंकर सेवाएं बंद होने से इन इलाकों में रहने वाले लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, कुछ जगहों पर बोरवेल का अशुद्ध पानी पीने के लिए सप्लाई किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।

जलाशयों की स्थिति: केवल 33% पानी शेष
मुंबई को पानी की आपूर्ति करने वाले सात प्रमुख जलाशय – वैतरणा, मोडक सागर, तानसा, मध्य वैतरणा, भातसा, विहार और तुलशी झील में अब सिर्फ 33.57% पानी बचा है। ये स्टॉक जुलाई 2025 तक चलना है, लेकिन बढ़ते तापमान और पानी की मांग के चलते ये संतुलन बिगड़ रहा है। BMC ने राज्य सरकार से जलाशयों में जमा आरक्षित पानी के इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। ऊर्ध्व वैतरणा से 68 हजार दशलक्ष लीटर और भातसा से 1.13 लाख दशलक्ष लीटर पानी की मांग की गई है। लेकिन अगर समय पर बारिश नहीं हुई, तो मुंबई को अभूतपूर्व जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

क्या है आगे की राह?
मुंबई में पानी की आपूर्ति पहले ही कटौती के दौर से गुजर रही है। अब वाटर टैंकर सेवाओं के बंद होने से स्थिति और गंभीर हो सकती है। शहरवासियों की नजरें अब मानसून पर टिकी हैं। साथ ही, सरकार और प्रशासन से उम्मीद की जा रही है कि वे इस संकट से निपटने के लिए कोई ठोस और त्वरित कदम उठाएंगे।

मुंबई का जल संकट अब केवल चेतावनी नहीं, बल्कि एक गंभीर वास्तविकता बन चुका है। टैंकर सेवाओं पर निर्भर लोगों के लिए ये खबर किसी झटके से कम नहीं है। अगर आप मुंबई में रहते हैं, तो पानी का समझदारी से इस्तेमाल करें और इस संकट के प्रति जागरूक रहें। क्या आपके इलाके में भी पानी की किल्लत है? अपने विचार हमारे साथ कमेंट में साझा करें।

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