महाराष्ट्र

अब AI तकनीक से फेक न्यूज की होगी पहचान, महाराष्ट्र सरकार ने उठाया बड़ा कदम

महाराष्ट्र सरकार
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महाराष्ट्र सरकार अब विपक्षी दलों और मीडिया में प्रसारित खबरों पर बारीकी से नजर रखने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार ने एक विशेष मीडिया ट्रैकिंग केंद्र स्थापित किया है, जिसे सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अंतर्गत संचालित किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न समाचार माध्यमों में प्रकाशित रिपोर्टों की समीक्षा और विश्लेषण करना है। ये केंद्र सरकार को महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करेगा, लेकिन खासतौर पर विपक्षी दलों के आरोपों और सरकार विरोधी खबरों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

इस ट्रैकिंग केंद्र के तहत सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर लगातार निगरानी रखी जाएगी। इससे पहले, महाराष्ट्र में सत्ताधारी पार्टी अपने खर्चे से मीडिया मॉनिटरिंग करती थी, लेकिन अब ये कार्य सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से किया जाएगा। ये संभावना जताई जा रही है कि विपक्षी दल इस कदम का विरोध कर सकते हैं।

मॉनिटरिंग टीम का मुख्य कार्य प्रमुख समाचार पत्रों की डिजिटल कटिंग प्रतिदिन उपलब्ध कराना होगा। टीवी, डिजिटल और सोशल मीडिया पर प्रसारित खबरों का अध्ययन किया जाएगा और उनकी प्रवृत्ति, स्वर व रुझान की जानकारी हर घंटे दी जाएगी। सरकार से संबंधित सकारात्मक और नकारात्मक खबरों का विश्लेषण कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। डेटा को डैशबोर्ड और मोबाइल ऐप के माध्यम से व्यवस्थित रूप से प्रबंधित किया जाएगा। इसके अलावा, सरकारी योजनाओं और नीतियों पर जनता और मीडिया की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन भी किया जाएगा।

महाराष्ट्र सरकार केवल विपक्ष पर ही नहीं, बल्कि फेक न्यूज और भ्रामक खबरों पर भी सख्त कदम उठाने जा रही है। इसके लिए मीडिया ट्रैकिंग सेंटर में AI तकनीक का उपयोग किया जाएगा। AI आधारित ये प्रणाली फर्जी और भ्रामक खबरों की पहचान कर उनके प्रसार को रोकने का काम करेगी। इसके अलावा, सरकार विरोधी या पक्षपातपूर्ण खबरों का विश्लेषण कर उचित प्रतिक्रिया दी जाएगी। प्रशासन से जुड़ी अहम जानकारी संकलित कर इसे विस्तृत रिपोर्ट के रूप में तैयार किया जाएगा।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्थापित मीडिया ट्रैकिंग सेंटर कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण हो सकता है। ये केंद्र सरकार की छवि को बनाए रखने और विपक्ष की गतिविधियों पर नजर रखने के उद्देश्य से कार्य करेगा। हालांकि, ये देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या ये कदम लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रभावित करेगा।

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