महाराष्ट्रमुंबई

Pigeons Impact on Health: कबूतरों का दाना डालना कितना खतरनाक? महाराष्ट्र की नई समिति खोलेगी स्वास्थ्य का राज!

Pigeons Impact on Health: कबूतरों का दाना डालना कितना खतरनाक? महाराष्ट्र की नई समिति खोलेगी स्वास्थ्य का राज!

Pigeons Impact on Health: मुंबई में कबूतरों को दाना डालने और कबूतरखानों को बंद करने को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। अब महाराष्ट्र सरकार ने बांबे हाई कोर्ट के आदेश पर एक खास समिति बनाई है, जो यह पता लगाएगी कि कबूतरों से इंसानों की सेहत को कितना खतरा है। यह समिति 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी, जिससे कबूतरों को दाना डालने के नियमों पर बड़ा फैसला हो सकता है। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की कहानी।

मुंबई में कबूतरों को दाना डालने की परंपरा सालों से चली आ रही है। शहर के कई इलाकों में लोग सड़कों, पार्कों और खास कबूतरखानों में कबूतरों को अनाज डालते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में इससे होने वाले स्वास्थ्य खतरों की बात सामने आई है। खासकर कबूतरों की बीट से फैलने वाली बीमारियों ने लोगों का ध्यान खींचा है। इस मुद्दे पर जैन समुदाय और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के बीच तनाव भी बढ़ा, जब दादर में एक कबूतरखाना बंद करने का फैसला लिया गया। जैन समुदाय ने इसका विरोध किया, क्योंकि उनके लिए कबूतरों को दाना डालना धार्मिक परंपरा का हिस्सा है।

इस विवाद को देखते हुए बांबे हाई कोर्ट ने 13 अगस्त 2025 को एक अहम सुनवाई की। कोर्ट ने तीन रिट याचिकाओं पर विचार करते हुए महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि कबूतरों से होने वाले स्वास्थ्य खतरों का अध्ययन करने के लिए एक समिति बनाई जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि समिति यह देखे कि सार्वजनिक जगहों पर कबूतरों को दाना डालने की प्रथा से क्या जोखिम हैं। इस आदेश के बाद शहरी विकास विभाग ने 22 अगस्त को एक आदेश जारी किया। इस आदेश में पुणे के जन स्वास्थ्य सेवा निदेशक विजय कांदेवाड की अध्यक्षता में 13 सदस्यों की समिति बनाई गई।

इस समिति में कई बड़े संगठनों के लोग शामिल हैं। बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, महाराष्ट्र पशु कल्याण बोर्ड, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), और एम्स नागपुर के प्रतिनिधि इस समिति का हिस्सा हैं। इसके अलावा मुंबई के श्वसन रोग विशेषज्ञ, सूक्ष्म जीव विज्ञानी और बीएमसी के बड़े अधिकारी भी इसमें शामिल हैं। समिति का काम है कबूतरों की बीट से होने वाले स्वास्थ्य खतरों का अध्ययन करना। यह भी देखा जाएगा कि क्या कुछ खास जगहों पर सीमित मात्रा में दाना डालने की इजाजत दी जा सकती है, बिना लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाए।

समिति को अपना काम जल्दी पूरा करना है। इसे 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी है। इस रिपोर्ट में कबूतरों से होने वाली बीमारियों, जैसे फेफड़ों की समस्याओं, पर विस्तार से जानकारी दी जाएगी। 2019 में लंग इंडिया नाम के एक जर्नल में छपे अध्ययन में बताया गया था कि कबूतरों की बीट से फेफड़ों की गंभीर बीमारी इंटरस्टिशल लंग डिजीज (आईएलडी) हो सकती है। इस बीमारी का खतरा शहरों में ज्यादा है, जहां प्रदूषित हवा के साथ कबूतरों की बीट का असर बढ़ जाता है।

इस समिति के गठन से लोगों में उम्मीद जगी है कि कबूतरों को दाना डालने के नियमों पर साफ तस्वीर सामने आएगी। बीएमसी ने पहले ही कुछ जगहों पर कबूतरों को दाना डालने पर रोक लगाई थी, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं हुआ। लोग अब भी सड़कों और पार्कों में कबूतरों को खाना डालते हैं। समिति की रिपोर्ट से यह तय होगा कि क्या कबूतरों को दाना डालने की परंपरा को पूरी तरह बंद करना चाहिए या फिर इसे कुछ नियमों के साथ जारी रखा जा सकता है।

#PigeonHealthImpact #MaharashtraCommittee #MumbaiPigeonFeeding #PublicHealthStudy #B BombayHighCourt

ये भी पढ़ें: 28 अगस्त 2025 का राशिफल: मेष से मीन तक, जानें आज का भाग्य और शुभ मंत्र

You may also like