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PIO Espionage Plot Uncovered in Maharashtra: महाराष्ट्र के संवेदनशील ठिकानों पर PIO की जासूसी, नकली आधार से घुसे मजदूर

PIO Espionage Plot Uncovered in Maharashtra: महाराष्ट्र के संवेदनशील ठिकानों पर PIO की जासूसी, नकली आधार से घुसे मजदूर

PIO Espionage Plot Uncovered in Maharashtra: मुंबई की चमक-दमक और महाराष्ट्र की रणनीतिक ताकत के बीच एक ऐसी साजिश सामने आई है, जिसने देश की सुरक्षा को हिलाकर रख दिया। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में चेतावनी जारी की है कि पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव्स (Pakistan Intelligence Operatives) महाराष्ट्र के संवेदनशील ठिकानों (sensitive installations) पर काम करने वाले कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को निशाना बना रहे हैं। यह खुलासा न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा में मौजूद खामियों को भी उजागर करता है। इस खबर ने सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया है, खासकर उन जगहों पर जो परमाणु संयंत्र, रक्षा प्रतिष्ठान, और तटीय बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण हैं।

यह सब तब सामने आया जब खुफिया एजेंसियों ने महाराष्ट्र के विभिन्न संवेदनशील ठिकानों (sensitive installations) पर PIOs की बढ़ती गतिविधियों को नोटिस किया। ये ऑपरेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स से संपर्क करने के लिए छद्म तरीके अपना रहे हैं। कभी वे जॉब एजेंट बनकर, तो कभी दोस्ताना स्थानीय नागरिक बनकर इन मजदूरों से बात करते हैं। ये वर्कर्स, जो अक्सर तीसरे पक्ष की एजेंसियों के जरिए बिना सख्त पृष्ठभूमि जांच के नौकरी पाते हैं, आसान निशाना बन रहे हैं। अधिकारियों को डर है कि यह खामी दुश्मन ताकतों के लिए एक बड़ा रास्ता बन सकती है, जो मजदूर, ड्राइवर, या यूटिलिटी स्टाफ बनकर इन ठिकानों में घुस सकते हैं।

चिंता की बात यह है कि कुछ मजदूर अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हो सकते हैं, जो नकली आधार कार्ड का इस्तेमाल करके नौकरी हासिल कर रहे हैं। यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है, क्योंकि ये लोग परमाणु संयंत्रों, आयुध कारखानों, और तटीय सुविधाओं जैसे रणनीतिक स्थानों पर काम कर रहे हैं। एक चल रही जासूसी जांच में यह पाया गया कि PIOs इन वर्कर्स से बार-बार संपर्क कर रहे हैं। ये कॉल्स एक सुनियोजित पैटर्न का हिस्सा हैं, जिनमें शिफ्ट टाइमिंग, प्रवेश बिंदु, सुरक्षा रूटीन, और प्रतिबंधित क्षेत्रों की तस्वीरें जैसी छोटी-छोटी जानकारियां मांगी जाती हैं। ऐसी जानकारी, जो दिखने में मामूली लगती है, आतंकवादी हमलों या तोड़फोड़ की योजना बनाने के लिए इस्तेमाल हो सकती है।

इस खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने तुरंत कई कदम उठाए हैं। सभी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के आधार कार्ड की तत्काल पुनर्जांच के आदेश दिए गए हैं, खासकर उन लोगों की जो संवेदनशील ठिकानों (sensitive installations) पर काम करते हैं। इसके लिए मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो रियल-टाइम में आधार की सत्यापन कर सकते हैं। साथ ही, नकली दस्तावेजों के साथ काम करने वाले अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए सख्त जांच शुरू की गई है। विशेष ध्यान उन झुग्गी-झोपड़ी इलाकों और हॉकर जोन्स पर है, जो महत्वपूर्ण ढांचों के पास हैं और जहां निगरानी कमजोर है।

महाराष्ट्र में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। परमाणु संयंत्रों, आयुध कारखानों, टेलीकॉम टावरों, और तटीय निगरानी इकाइयों पर अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया है। पुलिस को विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि आपराधिक तत्वों और राष्ट्र-विरोधी सहानुभूति रखने वालों की पहचान की जा सके। पुराने हॉटस्पॉट्स की फिर से जांच, संदिग्धों की सूची को अपडेट करना, निगरानी सिस्टम को बेहतर करना, और जमीनी स्तर पर खुफिया जानकारी जुटाने पर जोर दिया गया है। डिजिटल फुटप्रिंट्स को ट्रैक करने, साइबर सेल के साथ समन्वय, और स्थानीय पुलिस, साइबर सेल, और राष्ट्रीय एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने पर खास ध्यान है।

सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) और निजी क्षेत्र की कंपनियों, खासकर ऊर्जा, संचार, और परिवहन क्षेत्र में काम करने वालों को, कर्मचारियों के दस्तावेजों और सुरक्षा प्रोटोकॉल की ताजा ऑडिट करने के लिए कहा गया है। औद्योगिक क्षेत्रों और प्रवासी-घने इलाकों में स्लीपर सेल्स की पहचान के लिए विशेष निगरानी इकाइयां सक्रिय की गई हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह सिर्फ कुछ संदिग्ध कॉल्स की बात नहीं है। यह विदेशी ऑपरेटिव्स द्वारा आंतरिक सुरक्षा की कमजोरियों का व्यवस्थित शोषण है, जो आर्थिक कमजोरियों का फायदा उठा रहे हैं।

इस तरह की साजिशें पहले भी सामने आ चुकी हैं। उदाहरण के लिए, 2024 में मुंबई ATS ने एक PIO को नागपुर से गिरफ्तार किया था, जो संवेदनशील जानकारी अपने पाकिस्तानी हैंडलर्स को भेज रहा था। इस मामले में व्हाट्सएप के जरिए गोपनीय जानकारी साझा की जा रही थी। इसी तरह, हाल के महीनों में PIOs ने सोशल मीडिया और हनी-ट्रैप जैसे तरीकों का इस्तेमाल कर कई लोगों को फंसाया है। ये ऑपरेटिव्स अक्सर भारतीय सिम कार्ड और फर्जी पहचान का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी गतिविधियों को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। महाराष्ट्र जैसे राज्य, जहां रणनीतिक ठिकाने और आर्थिक गतिविधियां केंद्रित हैं, इनके लिए खास निशाना हैं।

यह मामला सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स तक सीमित नहीं है। खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि PIOs कम वेतन वाले कर्मचारियों को निशाना बना रहे हैं, जो आर्थिक तंगी के कारण आसानी से लालच में आ सकते हैं। इन कर्मचारियों को छोटी-मोटी रकम या नौकरी के वादे के बदले जानकारी देने के लिए उकसाया जाता है। इससे न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, बल्कि यह उन हजारों मजदूरों की जिंदगी को भी जोखिम में डालता है, जो मेहनत से अपनी आजीविका कमा रहे हैं।

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