महाराष्ट्र

Prada की टीम ने किया कोल्हापुर का दौरा, दोबारा ऐसी गलती न करने की खाई कसम

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लग्जरी फैशन ब्रांड Prada ने हाल ही में कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित डिजाइंस को अपने स्प्रिंग/समर 2026 कलेक्शन में शामिल करने के बाद भारत में आलोचनाओं का सामना किया। मिलान फैशन वीक में प्रदर्शित इन चप्पलों को Prada ने केवल “चमड़े के सैंडल” के रूप में पेश किया, बिना उनकी भारतीय सांस्कृतिक विरासत का जिक्र किए। इस कदम से महाराष्ट्र के पारंपरिक कारीगरों में नाराजगी फैल गई, क्योंकि कोल्हापुरी चप्पल 2019 से भारत में जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) दर्जा प्राप्त है, जो इसकी अनूठी धरोहर को मान्यता देता है।

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आलोचनाओं के बाद Prada ने अपनी गलती स्वीकारी और वादा किया कि भविष्य में ऐसी भूल नहीं होगी। ब्रांड ने कोल्हापुरी चप्पलों को वैश्विक स्तर पर सही पहचान दिलाने का भी आश्वासन दिया है।

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Prada की टीम कोल्हापुर पहुंची, कारीगरों से की मुलाकात
बुधवार को Prada के 6 वरिष्ठ प्रतिनिधियों, जिनमें मेंस फुटवियर डिवीजन के निदेशक पाओलो टिवरॉन और पैटर्न-मेकिंग मैनेजर डेनियल कोंटू शामिल थे, ने कोल्हापुर का दौरा किया। जवाहर नगर क्षेत्र में स्थानीय कारीगरों शुभम सतपुटे, बालू गौली, अरुण सतपुते, सुनील लोकरे और बालासाहेब गौली से मुलाकात कर उनके हुनर को समझा। महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष ललित गांधी ने बताया कि Prada ने कोल्हापुरी चप्पलों की शिल्पकला को सम्मान देने और इसे वैश्विक मंच पर बढ़ावा देने का वचन दिया।

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कोल्हापुरी चप्पलें बनीं लखटकिया, लेकिन नहीं मिली पहचान
मिलान फैशन वीक में प्राडा के कलेक्शन में कोल्हापुरी स्टाइल की चप्पलें मॉडल्स ने पहनीं, जिनकी कीमत लगभग 1.2 लाख रुपये थी। हालांकि, प्राडा ने इन चप्पलों को भारतीय विरासत से जोड़ने का कोई उल्लेख नहीं किया, जिससे कारीगरों में नाराजगी बढ़ी। कोल्हापुरी चप्पलें अपने हस्तनिर्मित डिजाइन और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती हैं, और इनका अनधिकृत उपयोग विवाद का कारण बना।

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बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका, Prada पर लगे गंभीर आरोप
कोल्हापुरी चप्पलों के डिजाइन की कथित नकल को लेकर Prada के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। पुणे के 6 वकीलों ने दावा किया कि कोल्हापुरी चप्पल महाराष्ट्र का सांस्कृतिक प्रतीक है और प्राडा ने बिना अनुमति इसके डिजाइन का व्यवसायीकरण किया। याचिका में प्राडा से माफी मांगने और कारीगरों को मुआवजा देने की मांग की गई। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

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Prada का ‘मेड इन इंडिया’ संग्रह लाने का प्रस्ताव
विवाद के बाद Prada ने भारतीय कारीगरों के साथ साझेदारी में एक सीमित संस्करण ‘मेड इन इंडिया’ कोल्हापुरी चप्पल संग्रह लॉन्च करने की इच्छा जताई है। ये कदम न केवल भारतीय शिल्पकला को बढ़ावा देगा, बल्कि कोल्हापुरी चप्पलों को वैश्विक पहचान दिलाने में भी मदद करेगा।

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कोल्हापुरी चप्पल: महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर
कोल्हापुरी चप्पलें न केवल एक फुटवियर हैं, बल्कि महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। इन चप्पलों को बनाने में कारीगरों का वर्षों का अनुभव और मेहनत शामिल होती है। प्राडा का यह विवाद एक बार फिर इस बात को रेखांकित करता है कि भारतीय हस्तकला को वैश्विक मंच पर सही सम्मान और पहचान मिलनी चाहिए।

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