हाल ही में राहुल गांधी द्वारा सिख समुदाय को लेकर की गई टिप्पणियों पर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा और खासकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसे ‘भयावह’ बताया है। राहुल गांधी की टिप्पणी अमेरिका में भारतीय अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए आई थी, जिसमें उन्होंने सिखों के अधिकारों पर बात की। इस पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी, इसे ‘खतरनाक विमर्श’ बनाने की कोशिश बताया। आइए इस पूरे विवाद पर नज़र डालते हैं और समझते हैं इसके पीछे की राजनीति और इसके प्रभाव।
राहुल गांधी की टिप्पणी: क्या था बयान?
राहुल गांधी ने वाशिंगटन के पास हर्नडॉन में भारतीय समुदाय के सामने भाषण देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कुछ धर्मों और समुदायों को अन्य से कमतर मानता है। उन्होंने कहा, “भारत में यह लड़ाई राजनीति के बारे में नहीं है। यह लड़ाई उन अधिकारों की है जो हर नागरिक को मिलना चाहिए।” राहुल ने सिख समुदाय का उदाहरण देते हुए कहा कि यह लड़ाई इस बात की है कि क्या सिखों को पगड़ी पहनने का अधिकार है या नहीं।
राहुल गांधी ने वहां उपस्थित एक सिख व्यक्ति से सवाल किया, “मेरे पगड़ीधारी भाई, आपका क्या नाम है?” इसके साथ ही उन्होंने सिखों के धार्मिक अधिकारों की लड़ाई को सभी धर्मों की समानता के लिए जरूरी बताया।
हरदीप सिंह पुरी की प्रतिक्रिया: ‘भयावह और अस्वीकार्य’
राहुल गांधी की टिप्पणी के बाद भाजपा ने उन पर जोरदार हमला बोला। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “राहुल गांधी की टिप्पणियां भयावह हैं। उन्होंने विदेश में सिख समुदाय के बीच झूठ फैलाने की कोशिश की। सिखों की पगड़ी और कड़ा पहनने को लेकर जो बयान दिए गए हैं, वह अस्वीकार्य हैं।”
पुरी ने 1984 के सिख विरोधी दंगों का भी जिक्र करते हुए कहा कि जब सिख समुदाय पर सबसे बड़ा अत्याचार हुआ, तब राहुल गांधी का परिवार सत्ता में था। पुरी ने कहा, “1984 में सिख नरसंहार में 3,000 से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई थी। उन्हें उनके घरों से बाहर निकालकर जिंदा जला दिया गया। यह वही समय था जब राहुल गांधी का परिवार देश पर शासन कर रहा था।”
1984 के दंगों का सियासी संदर्भ
1984 के सिख विरोधी दंगे कांग्रेस पार्टी के लिए हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रहे हैं। हर बार जब कांग्रेस के बड़े नेता सिख समुदाय के मुद्दों पर बोलते हैं, तब यह दंगे फिर से चर्चा में आ जाते हैं। हरदीप सिंह पुरी ने इसी संदर्भ का उपयोग कर राहुल गांधी की टिप्पणी को ‘ढोंग’ करार दिया। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने सिख समुदाय के खिलाफ बड़े अत्याचार किए हैं और अब विदेशों में जाकर राहुल गांधी उनके पक्ष में बोलने का नाटक कर रहे हैं।
पुरी का कहना है कि राहुल गांधी सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं और सिख समुदाय के बीच डर और असुरक्षा का माहौल बना रहे हैं।
भाजपा का तर्क: ‘खतरनाक विमर्श’
भाजपा ने राहुल गांधी की टिप्पणियों को “खतरनाक विमर्श” बताते हुए कहा कि यह विदेशों में भारत की छवि को खराब करने की साजिश है। भाजपा प्रवक्ताओं का कहना है कि राहुल गांधी देश के बाहर जाकर संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाजी करके राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा के अनुसार, भारत में सभी धर्मों और समुदायों को समान अधिकार दिए गए हैं और सिख समुदाय के धार्मिक प्रतीकों—पगड़ी और कड़ा—को कभी भी कमतर नहीं आंका गया है। भाजपा ने इसे एक राजनीतिक मुद्दा बताया, जिसे राहुल गांधी विदेशी धरती पर उछालकर गलत दिशा में मोड़ रहे हैं।
सिख समुदाय की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी की टिप्पणी पर सिख समुदाय से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ सिख नेता इस बयान का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे कांग्रेस का ‘राजनीतिक नाटक’ मान रहे हैं। सिख संगठनों का कहना है कि सिख समुदाय को पगड़ी और कड़ा पहनने का अधिकार हमेशा से मिला हुआ है और इसे लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। हालांकि, कुछ नेता राहुल गांधी के बयान को धर्मनिरपेक्षता की दिशा में एक सही कदम मानते हैं।
राजनीतिक असर और भविष्य की रणनीति
इस विवाद के बाद यह साफ है कि भारतीय राजनीति में धर्म और समुदाय से जुड़े मुद्दों का बड़ा महत्व है। राहुल गांधी का यह बयान भाजपा को सिख समुदाय के साथ अपने संबंध मजबूत करने का एक अवसर दे सकता है। वहीं, कांग्रेस इस विवाद के जरिए अपने लिए सहानुभूति जुटाने की कोशिश कर रही है।
अनुच्छेद के महत्वपूर्ण बिंदु:
- राहुल गांधी ने अमेरिका में सिख समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर बयान दिया।
- भाजपा ने इस बयान को ‘खतरनाक विमर्श’ और ‘भयावह’ करार दिया।
- 1984 के सिख दंगों का जिक्र करते हुए भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाए।
- सिख समुदाय से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं, कुछ समर्थन में, कुछ विरोध में।
- राजनीतिक तौर पर यह विवाद भाजपा और कांग्रेस के बीच धर्म और समुदाय आधारित सियासत को और गहराई देगा।
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