SC Approves 27% OBC Quota in Maharashtra Polls: महाराष्ट्र में लंबे समय से अटके स्थानीय निकाय चुनावों का रास्ता अब साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ नगर निगम, नगरपालिका और जिला परिषद के चुनाव कराने की मंजूरी दे दी। कोर्ट ने नई प्रभाग रचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। इससे पहले, कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को चार हफ्तों के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया था।
पिछले कुछ सालों से महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण और प्रभाग रचना को लेकर विवादों के कारण रुके हुए थे। पहले महायुति सरकार ने प्रभाग रचना में बदलाव किया, फिर महाविकास आघाड़ी सरकार ने इसमें फेरबदल किया। इसके बाद एकनाथ शिंदे सरकार ने फिर से संशोधन किया। लातूर जिले के औसा नगर पंचायत से जुड़ी एक याचिका में मांग की गई थी कि 11 मार्च 2022 से पहले की प्रभाग रचना के आधार पर चुनाव हों। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि प्रभाग रचना तय करना राज्य सरकार का अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण 2017 के नियमों के आधार पर लागू होगा, जैसा कि मई 2024 में कोर्ट ने आदेश दिया था। कोर्ट ने पहले की सुनवाई में राज्य निर्वाचन आयोग से नाराजगी जताई थी और पूछा था कि आखिर चुनाव में देरी क्यों हो रही है। कोर्ट ने कहा कि अब कोई बहाना नहीं चलेगा और चुनाव जल्द कराए जाएं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण और नई प्रभाग रचना दोनों को मंजूरी दे दी है। इससे 29 नगर निगमों, 290 नगरपालिकाओं, 32 जिला परिषदों और 335 पंचायत समितियों के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। एनसीपी नेता छगन भुजबल ने भी इस फैसले को ओबीसी समुदाय की जीत बताया।
हालांकि, कुछ याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि ओबीसी आरक्षण के लिए जरूरी डेटा और राजनीतिक पिछड़ेपन की जांच पूरी नहीं हुई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव अब नई प्रभाग रचना और 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। राज्य निर्वाचन आयोग को जल्द ही चुनाव की अधिसूचना जारी करने के लिए कहा गया है।
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