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Tsinghua University: IIT-IIM के बाप जैसे संस्था से पढ़ाई, काम मिला डिलिवरी बॉय का, आखिर कहां जा रही इकोनॉमी?

Tsinghua University: IIT-IIM के बाप जैसे संस्था से पढ़ाई, काम मिला डिलिवरी बॉय का, आखिर कहां जा रही इकोनॉमी?

Tsinghua University: IIT और IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई को अक्सर सफलता की गारंटी माना जाता है। इन संस्थानों में दाखिला लेना और यहां से डिग्री हासिल करना छात्रों के उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक समझा जाता है। लेकिन क्या हो अगर ऐसी डिग्रियां भी रोजगार की गारंटी न दें? चीन में यह स्थिति अब वास्तविकता बन चुकी है।

चीन की शिंघुआ यूनिवर्सिटी (Tsinghua University), जो क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (QS World University Rankings) में 20वें स्थान पर है, वहां से पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी अच्छी नौकरियां नहीं मिल रहीं। ऐसा चीन की धीमी अर्थव्यवस्था के कारण हो रहा है। सवाल उठता है कि क्या यह स्थिति भारत में भी संभव है?


चीन की अर्थव्यवस्था का हाल

चीन, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, आज बेरोजगारी और आर्थिक सुस्ती के गंभीर दौर से गुजर रहा है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मास्टर डिग्री और पीएचडी जैसी ऊंची डिग्रियां रखने वाले युवा वेटर, डिलिवरी बॉय, या मामूली मरम्मत कार्यों जैसी नौकरियों में काम करने को मजबूर हैं।

जैसे, शिंघुआ यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में मास्टर डिग्री प्राप्त एक छात्र को हाई स्कूल में हैंडीमैन का काम करना पड़ रहा है। इसी तरह, दर्शनशास्त्र में पढ़ाई करने वाला छात्र डिलिवरी बॉय बना हुआ है। यह स्थिति न केवल युवाओं बल्कि पूरे समाज के लिए चिंताजनक है।


बढ़ती बेरोजगारी

चीन में हर साल लाखों छात्र विश्वविद्यालयों से डिग्री लेकर निकल रहे हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण उपयुक्त नौकरियां नहीं हैं। रियल एस्टेट और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में संकट ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। 2023 में युवा बेरोजगारी दर 20% तक पहुंच गई थी, जो सरकारी आंकड़ों में हेरफेर के बाद भी 16% से अधिक है।

इस स्थिति ने युवाओं को परिवार और समाज के दबाव में समझौते करने पर मजबूर कर दिया है। उदाहरण के लिए, हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से फाइनेंस में पढ़ाई करने वाली वु दान आज स्पोर्ट्स इंजरी मसाज सेंटर में ट्रेनी का काम कर रही हैं।


वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर

चीन, अमेरिका के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में, चीन की आर्थिक स्थिति का असर पूरी दुनिया पर पड़ना स्वाभाविक है। भारत, जो तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, भी इन प्रभावों से अछूता नहीं रहेगा।

भारत में भी उच्च शिक्षित युवाओं के लिए नौकरी का संकट कोई नई बात नहीं है। IIT और IIM जैसे संस्थानों के बाहर भी कई बार छात्रों को उनके सपनों के मुताबिक रोजगार नहीं मिलता। ऐसे में, भारत को अपनी शिक्षा और रोजगार की नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि चीन जैसी स्थिति न बने।


भारत के लिए सबक

चीन की इस स्थिति से भारत को सतर्क रहना चाहिए। यह जरूरी है कि भारत का शिक्षा तंत्र केवल डिग्री प्रदान करने तक सीमित न रहे, बल्कि छात्रों को व्यावहारिक और रोजगारपरक कौशल भी प्रदान करे।

अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने के लिए नए क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना, जैसे तकनीकी और सेवा उद्योगों में निवेश करना, भारत के लिए अनिवार्य है।


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