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क्यों धर्म और भगवान को नहीं मानते थे स्टीफन हॉकिंग, कैसे अपनी जिंदगी खुद संवारी

स्टीफन हॉकिंग
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8 जनवरी को जन्मे महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग अपने जीवन के कई पहलुओं के लिए जाने जाते हैं। स्टीफन हॉकिंग का जीवन (Life of Stephen Hawking) और उनकी वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित विचारों ने दुनिया को एक नई दिशा दी। वो ईश्वर और धर्म में विश्वास नहीं रखते थे। ये विचार उन्हें केवल नास्तिक नहीं, बल्कि धर्म और विज्ञान पर आधारित दृष्टिकोण (Religion and science perspective) के समर्थक के रूप में परिभाषित करता है। उनके अनुसार, ईश्वर का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, और ब्रह्मांड की उत्पत्ति प्रकृति के नियमों से हुई है।

भगवान में विश्वास क्यों नहीं था?
स्टीफन हॉकिंग का मानना था कि ब्रह्मांड के निर्माण के लिए किसी दैवीय शक्ति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने अपनी अंतिम किताब “ब्रीफ आंसर टू द बिग क्वेश्चन” में विस्तार से बताया कि ईश्वर का अस्तित्व (Existence of God) एक परिभाषा मात्र है। उन्होंने लिखा कि जब हम मरते हैं, तो मिट्टी में मिल जाते हैं, और पुनर्जन्म या स्वर्ग-नरक में विश्वास केवल इच्छाधारी सोच है, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं।

प्रकृति के नियम ही हैं असली शक्ति
हॉकिंग मानते थे कि ब्रह्मांड और जीवन को समझने के लिए हमें प्रकृति के नियमों का पालन करना चाहिए। उनके अनुसार, ये नियम मनुष्य के बनाए कानूनों से अलग हैं और कभी टूटते नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रह्मांड शून्य से बना और विज्ञान के नियमों से संचालित होता है। उनका यह दृष्टिकोण आइंस्टीन के विचारों से काफी मिलता-जुलता था, जो किसी व्यक्तिगत ईश्वर में विश्वास नहीं करते थे।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समर्थन
हॉकिंग के विचारों का समर्थन कई वैज्ञानिक करते हैं। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के अनुसार, भौतिकविदों और खगोलविदों में ईश्वर में अविश्वास की दर सबसे अधिक है। 2009 के एक सर्वे के अनुसार, 41% वैज्ञानिक किसी उच्च शक्ति में विश्वास नहीं करते। यह स्पष्ट करता है कि विज्ञान के क्षेत्र में ईश्वर की परिभाषा को चुनौती दी जाती है।

हॉकिंग का जीवन और प्रेरणा
स्टीफन हॉकिंग ने 76 साल तक जीवन जिया, जिसमें अधिकांश समय व्हीलचेयर पर बिताया। शारीरिक अक्षमताओं के बावजूद उन्होंने अपने दिमाग की ताकत से दुनिया को ब्लैक होल और ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबंधित गूढ़ सिद्धांत दिए। उनका जीवन हमें सिखाता है कि हर चुनौती के बावजूद अगर विज्ञान में विश्वास हो, तो नई ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।

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