Zero Fatality Corridor Launched: महाराष्ट्र की सड़कों पर एक नई कहानी लिखी जा रही है, जहां सुरक्षा और तकनीक मिलकर हर यात्री की जान बचाने का वादा कर रहे हैं। मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे (Mumbai-Nagpur Expressway), जिसे समृद्धि महामार्ग के नाम से भी जाना जाता है, अब एक खास मिशन का हिस्सा बन चुका है। महाराष्ट्र सरकार ने मर्सिडीज-बेंज इंडिया और सवलाइफ फाउंडेशन के साथ मिलकर इस 701 किलोमीटर लंबे मार्ग को जीरो फटैलिटी कॉरिडोर (Zero Fatality Corridor) बनाने की ठानी है। यह कहानी केवल सड़कों की नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों की है, जो हर दिन इस एक्सप्रेसवे पर सफर करते हैं। इस परियोजना के तहत इंजीनियरिंग सुधार, सख्त नियम, आपातकालीन सेवाएं, और जागरूकता अभियान मिलकर एक सुरक्षित भविष्य की तस्वीर बना रहे हैं।
यह परियोजना मार्च 2025 में शुरू हुई और 2026 तक चलेगी। इसका मकसद है इस एक्सप्रेसवे पर होने वाली दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों को पूरी तरह खत्म करना। हर दिन इस मार्ग पर 10 लाख से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। इतनी बड़ी संख्या में वाहनों के बीच सुरक्षा सुनिश्चित करना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का मानना है कि यह परियोजना न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बनेगी। उन्होंने मर्सिडीज-बेंज इंडिया की भागीदारी को सराहा, जो ऑटोमोटिव सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है। फडणवीस ने मुंबई में इस परियोजना के लिए हुए समझौता समारोह में कहा कि यह सहयोग सड़क सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम है।
इस परियोजना का आधार चार मुख्य स्तंभों पर टिका है—इंजीनियरिंग, प्रवर्तन, आपातकालीन प्रतिक्रिया, और शिक्षा। सबसे पहले, इंजीनियरिंग सुधारों की बात करें। मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे (Mumbai-Nagpur Expressway) पर अब बेहतर साइनेज, स्पीड लिमिट इंडिकेटर्स, और दुर्घटना-संभावित स्थानों पर “गो स्लो” मार्किंग्स लगाए जा रहे हैं। इन छोटे-छोटे बदलावों का असर बड़ा है। उदाहरण के लिए, अगर किसी मोड़ पर पहले चेतावनी का कोई संदेश नहीं था, तो अब वहां साफ-साफ संदेश लिखा होगा, जो चालकों को सतर्क करेगा। इसके अलावा, स्पीड डिटेक्शन कैमरे और वेरिएबल स्पीड साइन बोर्ड (वीएएसएस) भी लगाए गए हैं, जो मौसम और ट्रैफिक के हिसाब से गति सीमा को दर्शाते हैं।
प्रवर्तन के मामले में भी सख्ती बरती जा रही है। इस एक्सप्रेसवे पर अब वीआईडीईएस सिस्टम काम कर रहा है, जो सीटबेल्ट न पहनने या लेन अनुशासन तोड़ने जैसी गलतियों को तुरंत पकड़ लेता है। यह सिस्टम चालकों को नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए 70 से ज्यादा पुलिस और प्रवर्तन कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। ये कर्मी न केवल नियम तोड़ने वालों पर नजर रखते हैं, बल्कि सड़क पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम करते हैं। यह देखकर लगता है कि सड़क सुरक्षा अब केवल कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर लागू हो रही है।
आपातकालीन सेवाएं इस परियोजना का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। दुर्घटना होने पर तुरंत मदद पहुंचाना जिंदगियां बचाने का सबसे बड़ा तरीका है। जीरो फटैलिटी कॉरिडोर (Zero Fatality Corridor) के तहत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली को और मजबूत किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, सवलाइफ फाउंडेशन ने पहले मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर ऐसी ही एक परियोजना चलाई थी, जहां दुर्घटना के बाद एम्बुलेंस का औसत प्रतिक्रिया समय 35 मिनट से घटकर 10 मिनट से कम हो गया था। इस अनुभव को अब समृद्धि महामार्ग पर लागू किया जा रहा है। इसके लिए महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी), हाईवे पुलिस, और स्वास्थ्य विभाग के बीच नियमित समन्वय बैठकें हो रही हैं, ताकि हर विभाग अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा सके।
जागरूकता अभियान भी इस परियोजना का एक अहम हिस्सा हैं। सवलाइफ फाउंडेशन ने पहले मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर “सेफ्टी अंडर 80” जैसा अभियान चलाया था, जिसमें चालकों को 80 किलोमीटर प्रति घंटे से कम गति पर गाड़ी चलाने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। इस तरह के अभियान समृद्धि महामार्ग पर भी चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों में चालकों को सड़क सुरक्षा के नियमों, जैसे सीटबेल्ट पहनने और मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करने, के बारे में बताया जाता है। युवा चालक, जो अक्सर तेज गति से गाड़ी चलाने के शौकीन होते हैं, इन अभियानों का मुख्य लक्ष्य हैं। इनके जरिए नई पीढ़ी को यह समझाया जा रहा है कि सड़क पर सुरक्षा ही सबसे बड़ी जीत है।
इस परियोजना की खास बात इसका सहयोगी मॉडल है। मर्सिडीज-बेंज इंडिया जैसी वैश्विक कंपनी और सवलाइफ फाउंडेशन जैसी अनुभवी संस्था का साथ मिलना इस परियोजना को और मजबूत बनाता है। सवलाइफ फाउंडेशन ने पहले मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर अपनी जीरो फटैलिटी कॉरिडोर (Zero Fatality Corridor) परियोजना के तहत 2016 से 2020 तक दुर्घटना से होने वाली मौतों में 52 प्रतिशत की कमी की थी। इस सफलता ने सरकार को समृद्धि महामार्ग के लिए भी ऐसी ही योजना बनाने के लिए प्रेरित किया। मर्सिडीज-बेंज इंडिया इस परियोजना में न केवल आर्थिक मदद दे रही है, बल्कि अपनी तकनीकी विशेषज्ञता भी साझा कर रही है। यह गठजोड़ वैश्विक अनुभव और स्थानीय जरूरतों का एक शानदार मिश्रण है।
महाराष्ट्र सरकार का यह कदम केवल एक सड़क तक सीमित नहीं है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि यह मॉडल पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। समृद्धि महामार्ग, जो मुंबई और नागपुर जैसे दो बड़े शहरों को जोड़ता है, महाराष्ट्र की आर्थिक प्रगति का प्रतीक है। लेकिन इस प्रगति का असली मतलब तब है, जब हर यात्री अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचे। इस एक्सप्रेसवे पर हर साल होने वाली दुर्घटनाएं न केवल परिवारों के लिए दुखदायी हैं, बल्कि आर्थिक नुकसान भी पहुंचाती हैं। इस परियोजना के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी जिंदगी सड़क पर खत्म न हो।
सड़क सुरक्षा एक ऐसी चीज है, जो हर किसी को छूती है। चाहे आप रोज़ाना ऑफिस जाने के लिए गाड़ी चलाते हों या परिवार के साथ लंबी यात्रा पर निकलते हों, सड़क पर आपकी सुरक्षा सबसे जरूरी है। मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे (Mumbai-Nagpur Expressway) पर चल रही यह परियोजना उस सपने को हकीकत में बदल रही है, जहां सड़कें न केवल तेज यात्रा का रास्ता हों, बल्कि सुरक्षित भी हों। मर्सिडीज-बेंज इंडिया और सवलाइफ फाउंडेशन जैसे साझेदारों के साथ, यह परियोजना नई पीढ़ी को एक ऐसी दुनिया देने की कोशिश कर रही है, जहां हर सफर खुशी से शुरू हो और खुशी से खत्म हो।