शतरंज की दुनिया में भारत का नाम तेजी से चमक रहा है, और इस चमक का एक बड़ा हिस्सा है 20 वर्षीय ग्रैंडमास्टर निहाल सरीन। स्पीड शतरंज (Speed Chess) में अपनी रफ्तार और रणनीति से दुनिया भर के खिलाड़ियों को चुनौती देने वाले निहाल ने 51,000 से ज्यादा ऑनलाइन गेम खेले हैं। लेकिन उनकी इस शानदार यात्रा में एक बड़ी बाधा रही है—भारत में इंटरनेट की देरी। इंटरनेट लैग (Internet Lag) ने निहाल जैसे कई भारतीय खिलाड़ियों को परेशान किया है, खासकर तब जब हर मिलीसेकंड मायने रखता है। अब, मुंबई में chess.com के नए सर्वर के साथ यह समस्या कम होने की उम्मीद है। आइए, इस कहानी को करीब से जानते हैं और समझते हैं कि यह बदलाव भारतीय शतरंज के लिए कितना बड़ा है।
केरल के इस युवा ग्रैंडमास्टर ने शतरंज की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। स्पीड शतरंज (Speed Chess) में वह कई बार जूनियर चैंपियन रह चुके हैं और chess.com ग्लोबल चैंपियनशिप 2022 में दूसरे स्थान पर रहकर 82 लाख रुपये की पुरस्कार राशि जीती। लेकिन इतनी प्रतिभा और मेहनत के बावजूद, निहाल को भारत में इंटरनेट की धीमी गति का सामना करना पड़ता है।
निहाल बताते हैं कि स्पीड शतरंज में एक सेकंड में नौ से दस चालें चलाई जा सकती हैं, यानी हर चाल के लिए 0.1 सेकंड। लेकिन अगर इंटरनेट की देरी के कारण यह समय 0.2 सेकंड हो जाए, तो चालों की संख्या आधी रह जाती है। यह सुनने में छोटी सी बात लगती है, लेकिन टूर्नामेंट में लाखों रुपये की पुरस्कार राशि और प्रतिष्ठा दांव पर हो, तो एक मिलीसेकंड भी बहुत मायने रखता है। निहाल कहते हैं कि कई बार यह निराशा इतनी बढ़ जाती है कि वह भारत से बाहर जाने के बारे में सोचने लगते हैं। लेकिन अब, chess.com के नए रियलटाइम शतरंज नेटवर्क (आरसीएन) और मुंबई में बने सर्वर ने उनकी उम्मीदें बढ़ा दी हैं।
भारत में शतरंज की लोकप्रियता जबरदस्त है। chess.com पर हर दिन 21 लाख से ज्यादा गेम भारत से खेले जाते हैं, जो कुल ट्रैफिक का 10.5% है। लेकिन इंटरनेट लैग (Internet Lag) भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी समस्या रही है। इसका कारण है सर्वर की दूरी। chess.com के ज्यादातर सर्वर अमेरिका और यूरोप में हैं, जिसके कारण भारत से डेटा भेजने और प्राप्त करने में देरी होती है।
पुणे की शतरंज मैनेजमेंट फर्म एमजीडी1 के सह-संस्थापक मनु गुरतु बताते हैं कि इस देरी को तकनीकी भाषा में ‘पिंग’ कहते हैं। अमेरिका और यूरोप के खिलाड़ियों को कम पिंग का फायदा मिलता है, क्योंकि वे सर्वर के करीब होते हैं। लेकिन भारत में पिंग ज्यादा होने के कारण खिलाड़ियों को देरी का सामना करना पड़ता है। जब कोई खिलाड़ी चाल चलता है, तो वह चाल पहले उनके डिवाइस से राउटर, फिर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और अंत में chess.com के सर्वर तक जाती है। इस जटिल प्रक्रिया में कई बार देरी हो जाती है, जिसका असर गेम पर पड़ता है।
कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन शतरंज ने नई ऊंचाइयां छुईं। लेकिन इसी दौरान भारतीय खिलाड़ियों ने इंटरनेट की समस्याओं को गहराई से महसूस किया। 2020 में ऑनलाइन शतरंज ओलंपियाड के दौरान भारत को मंगोलिया जैसी कम रैंक वाली टीम से हार का सामना करना पड़ा, जिसका कारण खराब इंटरनेट कनेक्शन था। फाइनल में क्लाउडफ्लेयर सर्वर के डाउन होने के कारण भारत और रूस को संयुक्त रूप से स्वर्ण पदक दिया गया, जिसकी काफी आलोचना हुई।
इन घटनाओं ने भारतीय खिलाड़ियों और शतरंज संगठनों को इंटरनेट की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया। मनु गुरतु ने निहाल जैसे शीर्ष खिलाड़ियों की मदद की और इस समस्या को chess.com तक पहुंचाया। उनकी कोशिशों और भारतीय खिलाड़ियों की लगातार शिकायतों के बाद, chess.com ने रियलटाइम शतरंज नेटवर्क (आरसीएन) विकसित करना शुरू किया।
chess.com का रियलटाइम शतरंज नेटवर्क (आरसीएन) एक ऐसा सिस्टम है, जो खिलाड़ियों के स्थान के आधार पर सर्वर चुनता है। पहले chess.com का एकमात्र लाइव सर्वर वर्जीनिया (अमेरिका) में था। लेकिन अब चार नए सर्वर जोड़े गए हैं—वर्जीनिया और ओरेगन (अमेरिका), नीदरलैंड और मुंबई। मुंबई में यह नया सर्वर भारतीय खिलाड़ियों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
chess.com के तकनीकी परियोजना प्रबंधक रफाल स्कोसेलास बताते हैं कि भारतीय खिलाड़ियों के लिए औसत लैटेंसी पहले 315 मिलीसेकंड थी। लेकिन जब वे मुंबई के सर्वर से जुड़ते हैं, तो यह लैटेंसी घटकर 125 मिलीसेकंड रह जाती है। यह सुधार निहाल जैसे प्रोफेशनल खिलाड़ियों के लिए बहुत बड़ा है, जो हर चाल में रफ्तार चाहते हैं। हालांकि, स्कोसेलास यह भी कहते हैं कि स्थानीय डिवाइस की परफॉर्मेंस, घर का नेटवर्क सेटअप और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की रूटिंग जैसी चीजें उनके नियंत्रण में नहीं हैं। फिर भी, यह कदम भारतीय खिलाड़ियों की राह आसान कर रहा है।
पिछले पांच सालों में भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी में जबरदस्त सुधार हुआ है। मार्च 2025 के स्पीडटेस्ट ग्लोबल इंडेक्स के अनुसार, भारत मोबाइल कनेक्टिविटी में 21वें और फिक्स्ड ब्रॉडबैंड में 98वें स्थान पर है। यह प्रगति शतरंज जैसे ऑनलाइन खेलों के लिए अच्छी खबर है। लेकिन सर्वर की दूरी के कारण होने वाली लैटेंसी अभी भी एक चुनौती है।
chess.com इंडिया के निदेशक और इंटरनेशनल मास्टर राकेश कुलकर्णी ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों की समस्याओं को chess.com के ग्लोबल टीम तक पहुंचाया। ग्रैंडमास्टर अर्जुन एरिगैसी ने भी हाल ही में बताया कि मुंबई सर्वर के बाद चीजें पहले से बेहतर हो रही हैं। कुलकर्णी और अन्य भारतीय शतरंज विशेषज्ञों की कोशिशों ने यह सुनिश्चित किया कि भारत जैसे बड़े बाजार की जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए।
निहाल सरीन की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि भारत में शतरंज की बढ़ती लोकप्रियता और चुनौतियों की है। स्पीड शतरंज (Speed Chess) में उनकी सफलता ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया है। लेकिन इंटरनेट की देरी जैसी समस्याएं उनके जैसे खिलाड़ियों के लिए बड़ी बाधा थीं। मुंबई में नया सर्वर और chess.com की कोशिशें इस बाधा को कम कर रही हैं।
यह बदलाव न केवल निहाल, बल्कि उन हजारों भारतीय खिलाड़ियों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो chess.com पर रोजाना गेम खेलते हैं। जैसे-जैसे आरसीएन का विस्तार होगा, भारतीय खिलाड़ी वैश्विक मंच पर और बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे। इंटरनेट लैग (Internet Lag) अब धीरे-धीरे अतीत की बात बन रहा है, और भारतीय शतरंज का भविष्य पहले से कहीं ज्यादा उज्ज्वल दिख रहा है।
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