देश-विदेश

इस बार धूम-धड़ाके से होगी गणपति की एंट्री, मन मोह लेगी थीम

इस बार धूम-धड़ाके से होगी गणपति की एंट्री, मन मोह लेगी थीम

हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक गणेश जी है, जिन्हें गौरी व शिव के पुत्र माने जाते हैं. एक हिन्दू कोई भी शुभ कार्य करने से पूर्व गणेश जी का स्मरण करता है, ऐसा कहा जाता है कि वे समस्त संकटों को दूर करने वाले है इस कारण उन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जानते हैं. रिद्धि सिद्धि के स्वामी गणपति, गजानन, गौरीपुत्र आदि नामों से भी जाना जाता हैं. इन्हें बुद्धि व विद्या के देवता के रूप में याद किया जाता हैं.

मंगलकारी देव के रूप में गणेश जी समस्त भारत में पूजे जाते हैं. दक्षिण भारत में मैसूर तथा तंजोर के गणेश मन्दिरों में नृत्य मुद्रा में गणपति की मूर्तियाँ बेहद आकर्षक हैं. यज्ञ, हवन, विवाह, सत्कार्य आदि की सफल फल के लिए पूर्व में गणपति की कामना की जाती हैं. महाराष्ट्र में सात वाहन, राष्ट्रकूट, चालुक्य शासकों ने बाद में महाराज शिवाजी एवं 20 वीं सदी में लोक मान्य तिलक ने गणेश उत्सव को नई दिशा प्रदान की.

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव का अतीत चार सौ वर्ष प्राचीन माना जाता हैं. मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज ने इस उत्सव की नींव रखी थी. एक लम्बे दौर तक यह पर्व केवल राजपरिवार के कुलदेवता के पर्व के रूप में पारिवारिक सीमा तक ही सिमित था. पेशवा शासकों के अंतिम समय बाद तक यह राजपरिवार तक ही सिमित रहा, मगर 1893 में बालगंगाधर तिलक ने इसे लोकपर्व के रूप में पुनः स्थापित किया.

You may also like