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मुंबई का कचरा संकट: क्या करेगी BMC? बढ़ती शिकायतों के बीच नगर निगम पर सवाल

मुंबई का कचरा संकट: क्या करेगी BMC? बढ़ती शिकायतों के बीच नगर निगम पर सवाल
शहर की सड़कों पर बढ़ रहे कचरे के ढेर, बदबू और बीमारियों से परेशान हैं मुंबईकर।
  • मुंबई में बढ़ता कचरा, आम लोगों के लिए बना मुसीबत।
  • कचरे की दुर्गंध से नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में।
  • सोशल मीडिया पर BMC के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूटा।
  • शहर की कचरा निस्तारण व्यवस्था पर उठे सवाल।
भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक होने के कारण मुंबई में बड़ी आबादी के साथ कचरा पैदा करने की समस्या भी उतनी ही विकराल है। BMC के सीमित संसाधनों के कारण यह शहर के कई हिस्सों में एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
कूड़े की मौजूदा स्थिति से बीमारियां फैल रही हैं और शहर की गंदगी बढ़ रही है। जगह-जगह लैंडफिल भी अपनी सीमा के करीब पहुंच रहे हैं। BMC को कार्रवाई के लिए नई कचरा प्रबंधन नीतियों की मांग को लेकर नागरिकों का विरोध बढ़ रहा है।
बीएमसी हर दिन करीब 7,000 मीट्रिक टन कचरा इकट्ठा करती है।
मुंबई के लैंडफिल अपनी क्षमता से अधिक भर चुके हैं।
कचरा संकट सिर्फ BMC की विफलता नहीं है, बल्कि नागरिकों को भी कचरा कम पैदा करने की अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने और घर पर ही कचरे को अलग करने जैसी  पहल से बड़ा बदलाव आ सकता है।
मुंबई शहर को एक स्थायी कचरा प्रबंधन रणनीति की जरूरत है, जिसमें सख्त नियमों से लेकर अधिक रीसाइक्लिंग सुविधाओं तक सब कुछ शामिल हो। अगर बीएमसी और नागरिक एक साथ मिलकर काम नहीं करेंगे, तो यह संकट शहर की प्रगति के लिए खतरा साबित होगा।

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