108-Foot National Flag Unveiled in Shirdi: शिरडी, महाराष्ट्र का एक छोटा सा शहर, जो साईं बाबा के आध्यात्मिक आलोक से जगमगाता है, अब एक और गौरवशाली प्रतीक का गवाह बना है। साईं बाबा मंदिर के पास, गेट नंबर एक के निकट, एक विशाल 108 फीट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज (National Flag, राष्ट्रीय ध्वज) स्थापित किया गया है। यह तिरंगा, जो देश की शान और एकता का प्रतीक है, फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा स्थापित किया गया। इस ऐतिहासिक क्षण को और खास बनाने के लिए उद्घाटन समारोह में फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद नवीन जिंदल, शिरडी लोकसभा सांसद भाऊसाहेब वाकचौरे, और श्री साईं बाबा संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोरक्षा गडिलकर उपस्थित थे। यह तिरंगा न केवल शिरडी की धार्मिक महत्ता को बल देता है, बल्कि देशभक्ति की भावना को भी प्रज्वलित करता है।
शिरडी, जो साईं बाबा के समाधि मंदिर (Sai Baba Samadhi Mandir, साईं बाबा समाधि मंदिर) के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है, हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। इस शहर की सड़कों पर भक्तों की भीड़, मंदिर की घंटियों की आवाज, और साईं बाबा की शिक्षाओं का आलोक हर कोने में फैला हुआ है। अब, इस पवित्र भूमि पर तिरंगे की स्थापना ने शिरडी को एक नई पहचान दी है। 108 फीट ऊंचा यह ध्वज आसमान में लहराता हुआ न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए भी गर्व का विषय है। यह तिरंगा, जिसमें केसरिया साहस, श्वेत शांति, और हरा समृद्धि का प्रतीक है, देश की एकता और विविधता को दर्शाता है। ध्वज के केंद्र में अशोक चक्र, जो धर्म और सत्य का प्रतीक है, हर किसी को जीवन में संतुलन और नैतिकता की याद दिलाता है।
फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने इस ध्वज को स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास किए। यह संगठन, जो 1980 के सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के तहत एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में स्थापित हुआ, देशभर में तिरंगे के प्रति सम्मान और गर्व की भावना को बढ़ावा देता है। नवीन जिंदल के नेतृत्व में इस संगठन ने एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसके परिणामस्वरूप 23 जनवरी 2004 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हर भारतीय को साल के सभी दिनों में अपने घरों, कार्यालयों, और कारखानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का मौलिक अधिकार दिया। इस जीत ने तिरंगे को हर भारतीय के जीवन का हिस्सा बना दिया, और शिरडी में इस विशाल ध्वज की स्थापना उसी अधिकार का एक शानदार उदाहरण है।
शिरडी का यह 108 फीट ऊंचा तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं है, बल्कि यह देश के स्वतंत्रता संग्राम और बलिदानों की याद दिलाता है। साईं बाबा, जिन्होंने अपने जीवनकाल में हिंदू और मुस्लिम भक्तों को एकजुट किया, हमेशा प्रेम, करुणा, और एकता की शिक्षा देते थे। उनके मंदिर के निकट यह तिरंगा स्थापित होना साईं बाबा की उन शिक्षाओं को और मजबूती देता है। यह ध्वज हर उस भक्त के लिए एक प्रेरणा है, जो साईं बाबा के दर्शन के लिए शिरडी आता है। जब भक्त मंदिर के गेट नंबर एक के पास इस लहराते तिरंगे को देखते हैं, तो उनके मन में न केवल आध्यात्मिक शांति, बल्कि देश के प्रति गर्व की भावना भी जागृत होती है।
इस ध्वज की स्थापना का महत्व केवल इसकी भव्यता तक सीमित नहीं है। यह शिरडी जैसे धार्मिक स्थल को देशभक्ति के रंग में रंग देता है। साईं बाबा का मंदिर, जो पहले से ही विश्वभर के भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है, अब इस तिरंगे के साथ और अधिक खास हो गया है। यह ध्वज उस संदेश को दोहराता है कि आस्था और देशभक्ति एक-दूसरे के पूरक हैं। शिरडी की सड़कों पर चलते हुए, जब भक्त इस तिरंगे को देखते हैं, तो यह उन्हें याद दिलाता है कि वे न केवल साईं बाबा के भक्त हैं, बल्कि एक स्वतंत्र और गौरवशाली राष्ट्र के नागरिक भी हैं।
इस समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर को एक ऐतिहासिक क्षण बताया। नवीन जिंदल ने अपने संबोधन में कहा कि यह तिरंगा हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि शिरडी जैसे पवित्र स्थल पर इस ध्वज की स्थापना देश की एकता और अखंडता को और मजबूत करती है। साईं बाबा संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोरक्षा गडिलकर ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह ध्वज भक्तों के बीच देशप्रेम की भावना को और प्रबल करेगा। शिरडी के सांसद भाऊसाहेब वाकचौरे ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए और इसे शिरडी के लिए एक गर्व का क्षण बताया।
शिरडी, जो पहले से ही अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, अब इस तिरंगे के साथ एक नया आयाम जोड़ रहा है। यह ध्वज न केवल शिरडी की शोभा बढ़ाता है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो यहाँ आता है। चाहे वह स्थानीय निवासी हो या फिर देश-विदेश से आने वाला कोई भक्त, इस 108 फीट ऊंचे तिरंगे को देखकर हर किसी के मन में देश के प्रति सम्मान और गर्व की भावना जागृत होती है। यह तिरंगा उस स्वतंत्रता की याद दिलाता है, जिसके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।
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